पेरिस में पैरालंपिक खेलों की शुरुआत हो चुकी है। पहले दिन भारतीय एथलीट्स ने शानदार खेल दिखाया। कई एथलीट्स ने अगले राउंड के लिए क्वालिफाई किया। इसमें सबसे उम्दा प्रदर्शन महज 17 साल की आर्चर शीतल देवी का रहा। दुनिया की पहली आर्मलेस यानि बिना हाथों वाली आर्चर शीतल देवी पैरालंपिक में डेब्यू करने के लिए उतरीं और उतरते ही इतिहास रच दिया। बता दें पेरिस में आर्चरी के रैंकिंग राउंड के दौरान उन्होंने 703 अंक हासिल किए और वर्ल्ड रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया। हालांकि, कुछ देर बाद ही तुर्किए की ओजनूर गिर्डी क्यूर ने 704 अंक के साथ शीतल को पछाड़कर आगे निकल गईं और ये रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया।
शीतल देवी जम्मू कश्मीर की एक छोटे से गांव किश्तवाड़ की रहने वाली हैं। 17 साल की शीतल फोकोमेलिया नाम की जन्मजात बीमारी से पीड़ित हैं। बचपन से उनके दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन उन्होंने अपने जीवन में कभी भी हार नहीं मानी। अब उन्होंने पेरिस में भारत का नाम रोशन किया है। शीतल ने 720 में से 703 अंक हासिल किए और रैंकिंग राउंड में दूसरे नंबर पर रहीं। ये उनका पर्सनल बेस्ट स्कोर भी है। इसके साथ ही वो 700 अंक पाने वाली भारत की पहली महिला आर्चर बन गई हैं। उनके प्रदर्शन और जज्बे को देखते हुए उनकी जमकर वाहवाही हो रही है। भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह समेत कई फैंस और सेलिब्रिटी ने उनके हुनर को सलाम कर रहे हैं।
शीतल देवी का व्यक्तिगत वर्ल्ड रिकॉर्ड भले ही तुरंत टूट गया लेकिन मिक्स्ड टीम इवेंट कामयाब रहीं। शीतल देवी और राकेश कुमार की टीम ने मिलकर पेरिस पैरालंपिक में आर्चरी में वर्ल्ड और पैरालंपिक रिकॉर्ड बनाया। शीतल के 703 अंक के बाद राकेश कुमार ने अपने व्यक्तिगत रैंकिंग राउंड में 696 अंक हासिल किए। इस तरह अपने-अपने रैंकिंग राउंड खत्म होने के बाद दोनों ने मिलकर कुल 1399 अंक बटोरे। मिक्स्ड टीम इवेंट में ये अब तक सर्वाधिक स्कोर है। इसके साथ ही दोनों की जोड़ी अब क्वार्टरफाइनल में पहुंच चुकी है। अब उनका क्वार्टरफाइनल मुकाबला 2 को रात 8:40 बजे से होगा।
17 साल की उम्र में इतिहास रचने वाली शीतल ने 15 साल की उम्र तक धनुष-बाण देखा तक नहीं था। 2022 उनके लिए एक बड़ा बदलाव लेकर आया। शीतल ने अपनी एक परिचित के कहने पर जम्मू के कटरा में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड खेल परिसर का दौरा किया। ये उनके घर से लगभग 200 किमी (124 मील) की दूरी पर है। वहां उनकी मुलाकात अभिलाषा चौधरी और उनके दूसरे कोच कुलदीप वेदवान से हुई, जिन्होंने उन्हें आर्चरी की दुनिया से परिचित कराया। इसके बाद वो जल्द ही कटरा शहर में शिफ्ट होकर ट्रेनिंग करने लगीं और 2 साल के अंदर पैरालंपिक में वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया है।