नई दिल्ली। भारतीय टीम के पूर्व ओपनर गौतम गंभीर ने कहा कि पूर्व भारतीय कप्तान एमएस धोनी ने अपनी कप्तानी के कारण बल्लेबाजी का बलिदान दिया। भारतीय टीम ने एमएस धोनी की कप्तानी में 2011 वर्ल्ड कप और 2007 टी20 वर्ल्ड कप खिताब जीता। गौतम गंभीर ने एशिया कप 2023 के प्रसारणकर्ता चैनल से बातचीत में कहा कि एमएस धोनी अपनी बल्लेबाजी क्षमता से मैच का रुख बदल सकते थे, लेकिन वो टीम इंडिया के लिए वरदान बने, जिन्होंने नंबर-7 पर आकर मैच जिताए।
एमएस धोनी भारत के पहले विकेटकीपर थे, जो अपनी बल्लेबाजी से मैच पलट देते थे। इससे पहले के क्रिकेटर्स प्रमुख रूप से विकेटकीपर और फिर बल्लेबाज होते थे। मगर एमएस धोनी पहले बल्लेबाज और फिर विकेटकीपर रहते थे। भारतीय क्रिकेट के लिए एमएस धोनी वरदान बने, जिसके पास ऐसा विकेटकीपर बल्लेबाज आया, जो नंबर-7 पर आकर मैच जिताए। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका गेम शक्तिशाली था।
एमएस धोनी की तारीफ करते हुए गंभीर ने कहा कि पूर्व कप्तान वनडे क्रिकेट के कई रिकॉर्ड्स तोड़ते। गंभीर ने साथ ही कहा कि एमएस धोनी अगर नंबर-3 पर बल्लेबाजी करते तो देश को ज्यादा ट्रॉफी दिलाते। धोनी ने 90 टेस्ट में 4,876 रन बनाए। उन्होंने 350 वनडे में 10,773 रन बनाए। भारत के लिए धोनी ने 98 टी20 इंटरनेशनल मैचों में 1617 रन बनाए।
अगर एमएस धोनी नंबर-3 पर खेलते तो मुझे विश्वास है कि वो वनडे क्रिकेट के कई रिकॉर्ड्स तोड़ते। लोगों ने हमेशा एमएस को ट्रॉफी के साथ देखा, लेकिन मेरे विचार में उन्होंने टीम की ट्रॉफी की खातिर अपने अंतरराष्ट्रीय रनों की बलिदानी दी। उन्होंने नंबर-6 और सात पर बल्लेबाजी की। अगर वो कप्तान नहीं होते तो नंबर-3 पर खेलते और कई रन व शतक जमाते।
लोग हमेशा एमएस धोनी और उनकी उपलब्धियां बतौर कप्तान के बारे में बात करते हैं, जो कि सही है। मगर मेरा मानना है कि कप्तानी की खातिर उन्होंने अपने अंदर के बल्लेबाज का समझौता किया। वो बल्ले से बहुत कुछ हासिल कर सकते थे, जो कि नहीं कर सके। ऐसा तब होता है जब आप कप्तान होते हो क्योंकि आप टीम को आगे रखते हो। आप अपने बारे में कुछ याद नहीं रखते हैं। एमएस धोनी ने अपनी कप्तानी में चेन्नई सुपरकिंग्स को आईपीएल 2023 का चैंपियन बनाया और साथ ही घोषणा की थी कि वो अगले सीजन में फिर लौटेंगे। धोनी ने फैंस की खातिर ऐसा बड़ा फैसला लिया है।