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2011 विश्व कप फाइनल में MS धोनी के दोबारा टॉस का खुला राज, संगाकारा ने बताया...

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 30 2020 12:20AM | Updated Date: May 30 2020 12:20AM
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नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट इतिहास में 2 अप्रैल 2011 का दिन बेहद खास है। इसी दिन महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में भारत ने दूसरी बार एकदिवसीय विश्व कप जीता था। 2011 विश्व कप के फ़ाइनल में टॉस को लेकर हुए सस्पेंस की कहानी अब साफ़ हो गई है। श्रीलंका के कप्तान कुमार संगकारा ने बताया कि दरअसल धोनी के कहने पर दुबारा टॉस हुआ था। कुमार संगकारा सोशल नेटवर्किंग प्लेटफ़ॉर्म पर भारतीय स्पिनर आर अश्विन के साथ बातचीत कर रहे थे।
 
आपको याद दिला दें कि 2011 विश्व कप के फ़ाइनल में भारत और श्रीलंका की टीमें पहुंची थीं। फ़ाइनल मैच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया था। जिसमें भारत ने श्रीलंका को हराकर 28 साल बाद दोबारा विश्व चैंपियन बनने का अपना सपना पूरा किया था। इससे पहले भारत ने 1983 में कपिल देव की कप्तानी में वेस्टइंडीज़ को हराकर पहली बार विश्व कप जीता था। श्रीलंका के कप्तान कुमार संगकारा ने बताया कि धोनी ने जब टॉस के लिए सिक्का उछाला तो उन्होंने 'हेड' की कॉल की थी।
 
टॉस के बाद मैच रैफरी ने बताया कि संगकारा टॉस जीत चुके हैं, लेकिन धोनी ने संगकारा की कॉल को ठीक तरह से नहीं सुना था। उन्होंने कहा कि उन्हें लगा कि संगकारा ने 'टेल' कॉल किया है। इस पर धोनी ने दोबारा टॉस करने का निवेदन किया। टॉस दुबारा हुआ और श्रीलंकाई कप्तान एक बार फिर वो टॉस जीत गए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस रोज़ मैदान में क्रिकेट फैंस का शोर बहुत ज़्यादा था। संगकारा ने कहाकि इसके पहले एक बार ईडन गार्डन्स में भी ऐसा हुआ था जब वो स्लिप में खड़े खिलाड़ियों से शोर की वजह से बात नहीं कर पा रहे थे।
 
संगकारा ने कहा कि अगर भारतीय टीम के कप्तान धोनी टॉस जीतते तो वो भी शायद पहले बल्लेबाज़ी करते। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए भारत को 275 रनों का लक्ष्य दिया था। इसमें महेला जयवर्धने का शानदार शतक शामिल था। लेकिन जवाब में भारतीय टीम की तरफ़ से गौतम गंभीर के शानदार 97 रन और फिर धोनी के शानदार 91 रन की बदौलत भारत ने वह मैच जीतकर इतिहास रच दिया था। श्रीलंकाई कप्तान संगाकारा ने ये भी कहा कि फ़ाइनल मैच में उनकी टीम को एंजलो मैथ्यूस की कमी बहुत ज़्यादा खली।
 
सेमीफ़ाइनल मैच में मैथ्यूज़ अनफ़िट हो गए थे। इसी वजह से फ़ाइनल मैच में संगकारा को 6-5 की रणनीति के साथ प्लेइंग 11 चुनना पड़ा। संगकारा ने कहा कि अगर एंजेलो मैथ्यूज़ होते तो वो गेंद के साथ साथ बल्ले से भी अपना योगदान देते। संगकारा ने कहा कि फाइनल मैच में छूटे कैच जैसी बातों को छोड़ दिया जाए तो मैथ्यूज़ का न होना भारी पड़ा। मैथ्यूज़ अगर टीम में होते तो श्रीलंका की टीम लक्ष्य का पीछा करने की रणनीति के साथ मैदान में उतरती। उन्होंने कहा कि ऐसा करने पर नतीजा कुछ भी हो सकता था लेकिन एंजेलो मैथ्यूज़ के रहने से टीम का संतुलन बेहतर बनता। 
 
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