इटावा। इंडियन मेडिकल एसोशियेशन का कहना है कि 50 बिस्तरों से कम अस्पतालों पर क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू नहीं होने दिया जाएगा क्योंकि यह कानून अव्यवहारिक और मरीजों के हित में नहीं है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्टेट वर्किंग कमेटी की बैठक में शामिल आए डा. एएम खान और डा. जयंत शर्मा ने रविवार को यहां संवाददाताओं से कहा छोटे अस्पतालों पर इस कानून के लागू होने से इलाज कई गुना महंगा हो जाएगा। वहीं कोई डाक्टर किसी भी मरीज का इलाज करने से मना नहीं कर सकेगा। उन्होंने कहा कि आईएमए डाक्टरों के साथ समाज हित के लिए भी कार्य करता है।
उन्होंने कहा कि सीईए के लागू होने से छोटे अस्पतालों पर इसका सीधा प्रभाव पडेगा और वह बंद हो जाएंगे। इसे देश के सभी राज्यों में लागू किया जा रहा है। सीईए के लागू होने से छोटे अस्पताल मानक पूरे नहीं कर सकते है। ऐसे में इन अस्पतालों के लिए दिक्कतें बढ़ जाएगी। नया एक्ट डाक्टरों के लिए पूरी तरह से फ्रेन्डली नहीं है। जब प्रदेश में सपा की सरकार थी तब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हस्तक्षेप के चलते नया एक्ट लागू नहीं हो सका था। वहीं हरियाणा सरकार ने 50 बैड के ऊपर के अस्पतालों पर इस एक्ट को लागू किया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार को आईएमए के द्वारा एक्ट का ग्राफ्ट बनाकर दिया गया है।
आईएमए पदाधिकारियों का कहना है कि निजी अस्पतालों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगवाना सरकार एवं नगर निगम की जिम्मेदारी है। डा. खान ने कहा कि उनका संगठन सरकार द्वारा चलाए जा रहे क्षय नियंत्रण कार्यक्रम में भी सहयोग करता आ रहा है। वहीं कैंसर की जागरूकता के लिए भी समय-समय पर कैंप लगाए जाते है। इतना ही नहीं सरकार की हर योजनाओं में आईएमए अपना पूरा सहयोग करती है। बैठक में डा. सुधीरधाकरे, डा. आलोक राय, डा. अशोक अग्रवाल, डा. शरद अग्रवाल, आईएमए जिलाध्यक्ष डा. वीके गुप्ता, सचिव डा. संजीव यादव, डा. एमएएम पालीवाल,डा. एससी गुप्ता, डा. पीयूष पांडेय, डा. अमिताभ श्रीवास्तव, डा. हिमांशु यादव, डा. शरद चंद्रा, डा. सीएस दुबे मौजूद रहे।