देश भर से आए बीएसपी के नेता पार्टी ऑफिस पहुंच चुके थे। लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद ये मीटिंग बुलाई गई। बीएसपी चीफ मायावती समय की पाबंद हैं। बैठक शुरू होने का समय सवेरे के 11 बजे रखा गया था इसीलिए सभी नेता समय से पहले ही अपनी जगह पर बैठ चुके थे। हॉल में लगी घड़ी की सुई जैसे ही 11 की तरफ बढ़ी, हलचल तेज हो गई। मायावती के आने का अलर्ट हो गया। फिर कुछ ही सेकंड बाद मायावती ने अपने भाई और भतीजे के साथ एंट्री ली।
इस एंट्री में आगे-आगे मायावती और पीछे-पीछे आनंद कुमार और उनके बेटे आकाश आनंद थे। हॉल में आकर मायावती अपनी कुर्सी पर बैठ गईं। भतीजे आकाश आनंद ने उनके पैर छुए। मायावती ने उनके सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद दिया। इसी दौरान फोटोग्राफरों ने कहा बहन जी एक बार और। तो मुस्कुराते हुए मायावती ने फिर से अपना हाथ आकाश के माथे पर रख दिया।
ये वही आकाश आनंद हैं जिन्हें मायावती ने कुछ महीने पहले अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था। वे पार्टी में मायावती के बाद दूसरे नंबर के नेता थे। वे बीएसपी के भविष्य थे। देश भर में जाकर वे पार्टी के लिए प्रचार कर रहे थे। मीडिया संस्थानों को इंटरव्यू दे रहे थे, लेकिन बीच चुनाव में मायावती ने उनसे सारे अधिकार छीन लिए। आकाश आनंद को घर बैठने के लिए कह दिया गया।
मायावती ने 7 मई को लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के बाद उनकी अपरिपक्वता का हवाला देते हुए पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक के पद से आकाश आनंद को हटा दिया था। इसके बाद उनके प्रचार कार्यक्रम रद्द कर दिए गए थे। लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो बसपा का निराशाजनक प्रदर्शन देखने को मिला था। पार्टी को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हो सकी।
बताया गया कि आकाश आनंद के आक्रामक भाषणों से वे नाराज हो गई थीं। बीजेपी के खिलाफ एक विवादित बयान को लेकर आकाश पर मुकदमा भी हो गया था, लेकिन पार्टी के सीनियर नेताओं के सामने आकाश के माथे पर मायावती के हाथ ने बदलते हालात के संकेत दे दिए। आकाश आनंद की राजनैतिक रूप से बीएसपी की मुख्य धारा में वापसी हुई है।
मायावती ने आकाश आनंद को फिर से अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है। मायावती ने कहा कि आकाश आनंद पार्टी से नौजवानों को जोड़ेंगे, लेकिन मीटिंग में ये तय हुआ कि आकाश को अभी यूपी के राजनैतिक मामलों से दूर रखा जाएगा।
चंद्रशेखर रावण के बढ़ते राजनैतिक प्रभाव से मुकाबले के लिए आकाश को फिर से पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। चंद्रशेखर और उनकी आजाद समाज पार्टी तेजी से यूपी में पैर पसार रही है। चंद्रशेखर खुद नगीना से लोकसभा के सांसद बन गए हैं। ऐसे हालात में मायावती और आकाश आनंद की चुनौती और बढ़ गई है। हाल में हुए लोकसभा चुनाव में बीएसपी का वोट शेयर 9।3% रह गया है। मायावती के सामने सबसे बड़ा खतरा अपना दलित वोट बैंक बचाने का है।