ढाका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से उनकी समकक्ष शेख हसीना को बंग्लादेश में किसी को भी नहीं भेजे जाने संबंधी आश्वासन पर पूछे गए एक सवाल के उत्तर में अली ने कहा कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच अच्छे द्विपक्षीय संबंध है और एनआरसी दोनों देशों के बीच कोई पेचीदा मामला नहीं है। गौरतलब है कि बंगलादेशी नेताओं और मीडिया ने असम में रहने वाले अवैध बंगलादेशियों के निर्वासन की आशंकाओं के बारे में उत्पन्न एनआरसी विवाद को अधिक तूल नहीं दिया है।
भारतीय नागरिकों के रूप में जिन लोगों को अपनी प्रामाणिकता साबित करनी है उनकी संख्या लगभग 40 लाख है। बंगलादेश के सांसदों और अधिकारियों ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के उस बयान को भी ज्यादा तबज्जो नहीं दी है जिसमें उन्होंने एक रैली में कहा था कि अवैध बंगलादेशी 'दीमक' की तरह हैं जो भारतीय अर्थव्यवस्था को खा रहे हैं।
उन्होंने कहा, 'रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी के लिए भारत ने म्यांमार के राखिने राज्य में लगभग 250 घरों का निर्माण कराया है और वहीं चीन ने एक हजार घरों का निर्माण कराने का वायदा किया है। अभी हाल ही में रोहिंग्या शरणार्थियों के निर्वासन को लेकर भारत, बंगलादेश और चीन के बीच एक संयुक्त बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में म्यांमार के लिए नियुक्त संयुक्त राष्ट्र के विशेष राजदूत समेत संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भी भाग लिया। इस बैठक का मकसद रोहिंग्याओं के अपने देश लौटने को संभव बनाना था।'
बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने कहा, बांग्लादेश ने बंगाल की खाड़ी में एक द्वीप का विकास किया है। वहां पर मजबूत आधार शिविरों का निर्माण किया है जहां पर रोहिंग्या शरणार्थियों को रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया ने हमारी प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस कदम की सराहना की है जिन्होंने मानवता के आधार पर रोहिंग्या लोगों को अपने देश में शरण देने का फैसला किया। उन्होंने कहा लेकिन यह अस्थायी कार्रवाई है और इस समस्या का स्थायी हल केवल उन्हें वापस उनके देश भेजने में ही है।
बांग्लादेश छह हजार रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार भेजेगा बंगलादेश के विदेश मंत्री अब्दुल हसन महमूद अली ने कहा है कि छह हजार रोहिंग्या शरणार्थियों का पहला जत्था जल्द ही वापस म्यांमार भेजा जाएगा। उन्होंने कहा बंगलादेश के कोक्स बाजार जिले में शरणार्थी कैम्पों में रह रहे इन लोेगों की संख्या बढ़कर 10.2 लाख से ऊपर पहुंच चुकी है। जिसके कारण बंगलादेश ने म्यांमार पर रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस लेने के लिए दबाव बढ़ाने की कोशिश की है। इसके लिए भारत और संयुक्त राष्ट्र की मदद से म्यांमार पर राजनयिक दबाव बनाया जा रहा है कि वह उन शरणार्थियों को वापस बुलाए जो बांग्लादेश में शरण लिए हुए हैं।