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Health

गर्भकालीन मधुमेह पर ध्यान देने की जरूरत: डॉ. हेमा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 16 2019 3:36PM | Updated Date: Nov 16 2019 3:36PM
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बेंगलुरु। देश में गर्भकालीन मधुमेह (गेस्टेशनल डायबिटीज)के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन इस रोग के प्रति जागरुकता को लेकर ठोस दिशा निर्देश नहीं है। गर्भकालीन मधुमेह बच्चे के जन्म के बाद खत्म हो जाता है,लेकिन इससे गर्भावस्था में  भी कुछ मुश्किलें आती हैं। ऐसी स्थिति से बचने के लिए मां के साथ ही बच्चे की भी खास जांच पर ध्यान देने की जरूरत होती है।  प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. हेमा दिवाकर ने गत दिवस यहां एक कार्यकम में कहा कि देश में हर साल 40 लाख गर्भवती महिलाएं मधुमेह की चपेट में आ जाती हैं लेकिन उनके इलाज तथा उन्हें जागरूक करने के बारे में अभी कोई ठोस दिशानिर्देश क्रियान्वित नहीं किया गया है।
 
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में तकनीकी सलाहकार एवं अंतरराष्ट्रीय मधुमेह फेडरेशन की प्रवक्ता डॉ. दिवाकर ने कहा कि इस बीमारी में शुगर का स्तर अत्यधिक उच्च स्तर पर पहुंच जाता है। देश में बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं इस रोग से पीडित हैं लेकिन इस दिशा में ठोस काम अभी नहीं हुआ है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए पहले ठोस डाटा तैयार करने की जरूरत है और उसके बाद इस दिशा में काम किया जाना चाहिए। डॉ. दिवाकर ने कहा कि इस रोग के प्रति गांव की महिलाओं में जागरूकता पैदा करने की सख्त जरूरत है ताकि देश की भावी पीढी को स्वस्थ रखा जा सके तथा ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का समय पर इस रोग से बचाव संबंधित उपचार किया जा सके।
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