नई दिल्ली। दिल्ली मुख्यमंत्री आवास (Delhi Chief Minister's Residence) के रेनोवेशन मामले में CBI की जांच को लेकर अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि ये पहली बार नहीं है। अबतक 50 से ज़्यादा जांच हो चुकी है। 33 से ज़्यादा केस किये, सारी जांच की लेकिन कुछ मिला नहीं। इस जांच का स्वागत है, कुछ मिलने वाला नहीं है। केजरीवाल झुकने वाला नहीं है, जितनी फर्जी जांच कर ले। अगर इस जांच में कुछ नहीं मिला तो क्या प्रधानमंत्री इस्तीफा देंगे?
गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास के रेनेवोशन में फिजूलखर्ची या वित्तीय अनियमितताओं की सीबीआई ने बुधवार से जांच शुरू कर दी। रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई ने दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग से सीएम आवास के रेनोवेशन से संबंधित सभी दस्तावेज 3 अक्टूबर तक जमा करने को कहा है। सीएम आवास के रेनोवेशन में करीब 45 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इस बीच आम आदमी पार्टी (AAP) का बयान भी सामने आया है। AAP ने कहा कि बीजेपी चाहें जितनी जांच करा ले, पहले कुछ नहीं निकला था। अब भी कुछ नहीं निकलेगा।
इसी साल मई में दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई डायरेक्टर को चिट्ठी लिखकर इसकी जांच की मांग की थी। दिल्ली सीएम आवास में कथित घोटाले की सीबीआई जांच के गृह मंत्रालय ने आदेश दिए हैं। इस मामले में गृह मंत्रालय द्वारा पहले ही सीएजी द्वारा एक विशेष ऑडिट का आदेश दिया जा चुका है।
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल के शानदार राजमहल की सीबीआई जांच शुरू होने का बीजेपी स्वागत करती है। बीजेपी का पहले दिन से कहना था कि इस शानदार बंगले की मरम्मत में बहुत ज्यादा करप्शन किया गया है। नियमों का उल्लंघन किया गया है। आज जब सीबीआई की जांच शुरू हुई है, तो हम इसका स्वागत करते हैं। उम्मीद है सच्चाई सामने आएगी।
दिल्ली बीजेपी ने दिल्ली सीएम हाउस को लेकर कई आरोप लगाए थे। बीजेपी के मुताबिक, कोविड काल के पीक के 16 माह के दौर में अरविन्द केजरीवाल द्वारा अपने घर और ऑफिस पर लगभग 45 करोड़ रुपये खर्च करना उनकी संवेदनहीनता का एक बड़ा प्रमाण है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा था कि आवास के लिए खरीदे गए आठ नए पर्दों में से एक की कीमत 7।94 लाख रुपये से अधिक है जबकि सबसे सस्ता पर्दा 3।57 लाख रुपये का है। पात्रा ने कहा दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि 1।15 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के मार्बल (संगमरमर) वियतनाम से लाए गए थे, जबकि पूर्व-निर्मित लकड़ी की दीवारों पर 4 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।