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चेतावनी : लॉकडाउन में तेजी से ठंडा हो रहा है सूरज, जल्द शुरू होगा हिमयुग, बर्फ में....

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 16 2020 11:55AM | Updated Date: May 16 2020 11:55AM
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दुनिया में अभी कोरोना का कहर फैला है। हर तरह इस वायरस की वजह से मौत का कोहराम मचा है। इस वायरस से दुनिया में अभी तक 35 लाख से संक्रमित हो चुके हैं। जबकि मरने वालों का आंकड़ा 3 लाख को पार कर चुका है। इस वायरस से बचाव के लिए अभी तक कोई वैक्सीन तैयार नहीं हुई है। इस कारण कई देशों को लॉकडाउन किया गया है। लेकिन अब एक नई खबर ये आ रही है कि दुनिया के लॉकडाउन के बीच अब सूरज भी लॉकडाउन हो चूका है। यानी सूरज का तापमान तेजी से कम हो रहा है। इस कारण अंदाजा लगाया जा रहा है कि दुनिया मिनी आइस ऐज की तरफ बढ़ रही है। यानी धीरे-धीरे दुनिया के कई देश बर्फ वाले इलाकों में बदल रहा है। 

द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के मुताबिक लॉकडाउन में दुनिया में गाड़ियों का चलना कम हुआ है। साथ ही पर्यावरण में कई तरह के बदलाव  आए हैं, इस कारण प्रदूषण  का लेवल काफी कम हुआ है। इस कारण सूरज का तापमान कम हो रहा है। इस हफ्ते की बड़ी खबर आई कि विशाल, जलती, उबलती, और पृथ्वी से 93 मिलियन मील दूर स्थित सूरज का तापमान कम हो रहा है। सूरज पृथ्वी पर लाइट और गर्मी का मुख्य स्रोत है। एक रिसर्च के मुताबिक सूर्य की सतह पर गतिविधि नाटकीय रूप से गिर गई है, और इसका चुंबकीय क्षेत्र ‘सौर न्यूनतम’ की अवधि में कमजोर हो गया है। 

जिस कारण सूरज का तापमान कम हो रहा है। सूरज के घटते तापमान को लेकर मेट ऑफ़िस और रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के सदस्यों ने कहा कि इसपर घबराने की जरुरत नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसा हर 11 साल में होता है। उन्होंने कहा कि हर 11 साल में सूर्य अपने गतिविधि चक्र से गुजरता है। इस दौरान सूरज की सतह ठंडी होने लगती है। उन्होंने याद दिलाया कि 17 वीं और 18 वीं शताब्दियों में यूरोप में भी ऐसा मिनी आइस एज आया था। उस समय तापमान इतना कम हो गया था कि थेम्स नदी जम गई थी। 

फसलें खराब हो गई थी और दुनिया में काफी कुछ बदल गया था। हालत ऐसी हो गई थी कि जुलाई के मौसम में बर्फ़बारी हुई थी। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सूर्य-जो कि 4.5 बिलियन वर्ष पुराना है और पृथ्वी से एक लाख गुना अधिक बड़ा है-न केवल रौशनी का स्रोत है, बल्कि एक हद तक पृथ्वी पर जीवन का स्रोत है। लेकिन इस लॉकडाउन में सूर्य की गतिविधि लगातार बदल रही है क्योंकि यह अपने नियमित चक्र से गुजर रहा है। 17 वीं शताब्दी के बाद से, वैज्ञानिक ‘सनस्पॉट्स’ की गणना करके सौर न्यूनतम की गहराई को मापते रहे हैं। अब लॉकडाउन की वजह से पर्यावरण में आए  बदलाव के बाद कहा जा रहा है कि दुनिया एक बार फिर आइस एज में जा रही है। कई देशों में गर्मियों के मौसम में बर्फ़बारी होगी और लोगों को कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे।

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