रियाद। कोरोना संक्रमण के दौरान नई दिल्ली में तबलीगी जमात ने कोविड-19 लॉकडाउन का सिरे से उल्लंघन कर कोरोना विस्फोट कराने का काम किया था। इसको लेकर न सिर्फ तबलीगी जमात की आलोचना हुई थी, बल्कि मामला अदालत तक जा पहुंचा था। उस वक्त तबलीगी जमात पर प्रतिबंध लगाने की बात भी उठी थी, लेकिन फिर कुछ हुआ नहीं। भारत की मोदी सरकार तो कड़े कदम नहीं उठा सकी, लेकिन सऊदी अरब में सुन्नी संगठन तबलीगी जमात पर अपने देश में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। तबलीगी जमात के दुनिया भर में 350 से 400 मिलियन सदस्य हैं।
यही नहीं, सऊदी सरकार ने तबलीगी जमात पर कड़ी टिप्पणी भी की है। सरकार ने कहा है कि यह संगठन आतंकवाद के दरवाजों में से एक है। सरकार ने मौलानाओं को आदेश दिया है कि संगठन समाज के लिए खतरा है और मस्जिदों में शुक्रवार के उपदेश में इसके बारे में लोगों चेतावनी देना शुरू कर दें। सऊदी सरकार इस पूरे मामले को गंभीरता से ले रही है। देश के इस्लामिक मामलों के मंत्रालय ने इस संबंध में एक के बाद एक कई तीखे ट्वीट किए हैं।
सरकार ने ट्वीट के माध्यम कई ऐसे सारे मसलों को उठाया है जिनकी वजहों से तबलीगी जमात देश के लिए खतरा बना है और इसे बैन किया जा रहा है। मंत्रालय ने कहा कि इस्लामिक मामलों के मंत्री डॉक्टर अब्दुललतीफ अल अलशेख ने मस्जिद के मौलानाओं से शुक्रवार की नमाज को अस्थाई रखने के लिए कहा है ताकि अगले शुक्रवार को तबलीगी जमात और उसके संगठन की चेतावनी को फैलाया जा सके। भारत में तबलीगी जमात 1926 के करीब अस्तित्व में आया था। यह एक सुन्नी इस्लामिक मिशनरी आंदोलन है। यह संगठन मुसलमानों को सुन्नी इस्लाम में लौटने और धार्मिक उपदेश देने का काम करता है। यह एक बेहद पुराना रूढ़वादी संगठन है और अब इसकी पहुंच दुनिया भर के तमाम देशों में हो चुकी है। तबलीगी जमात के दुनिया भर में 350 से 400 मिलियन सदस्य हैं। संगठन का दावा है कि संगठन ध्यान केवल धर्म के प्रचार-प्रसार पर काम करता है और राजनीति-बहसबाजी से दूर रहता है।