लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर तनाव को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति के मध्यस्थता प्रस्ताव को चीन ने ठुकरा दिया है। चीन ने शुक्रवार को कहा कि दोनों देशों के बीच समस्याओं के समाधान के लिए मौजूदा संचार तंत्र मौजूद हैं। अमेरिका प्रस्ताव पर पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि दोनों देश मौजूदा सैन्य गतिरोध सुलझाने के लिए तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप नहीं चाहते हैं। झाओ ने कहा कि चीन और भारत के बीच सीमा संबंधी तंत्र और संवाद माध्यम हैं। ट्रंप ने भारत और चीन के बीच सीमा विवाद में बुधवार को मध्यस्थता करने की अचानक पेशकश की और कहा कि वह दोनों पड़ोसी देशों की सेनाओं के बीच जारी गतिरोध के दौरान तनाव कम करने के लिए 'तैयार, इच्छुक और सक्षम हैं।'
ट्रंप के प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने झाओ ने कहा, 'हम बातचीत और विचार-विमर्श के जरिए समस्याओं को उचित तरीके से सुलझाने में सक्षम हैं। हमें तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।' वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में अनेक क्षेत्रों में भारत और चीन दोनों की सेनाओं ने हाल ही में सैन्य निर्माण किए हैं। इससे गतिरोध की दो अलग-अलग घटनाओं के दो सप्ताह बाद भी दोनों के बीच तनाव बढ़ने और दोनों के रुख में सख्ती का स्पष्ट संकेत मिलता है। भारत ने कहा है कि चीनी सेना लद्दाख और सिक्किम में एलएसी पर उसके सैनिकों की सामान्य गश्त में अवरोध पैदा कर रही है। भारत ने चीन की इस दलील को भी पूरी तरह खारिज कर दिया है कि भारतीय बलों द्वारा चीनी पक्ष की तरफ अतिक्रमण से दोनों सेनाओं के बीच तनाव बढ़ा।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की सभी गतिविधियां सीमा के इसी ओर संचालित की गई हैं और भारत ने सीमा प्रबंधन के संबंध में हमेशा बहुत जिम्मेदाराना रुख अपनाया है। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत अपनी सम्प्रभुता और सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच विवाद सुलझाने में मध्यस्थता करने की पेशकश की थी, जिसके बाद चीन की मीडिया में यह प्रतिक्रिया सामने आयी है। ट्रंप ने एक ट्वीट में कहा था, 'हमने भारत और चीन दोनों को सूचित किया है कि अमेरिका सीमा विवाद में मध्यस्थता करने के लिए तैयार, इच्छुक और सक्षम है।'