इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान रविवार को इस उम्मीद के साथ अमेरिका रवाना होंगे कि मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की गिरफ्तारी और अफगान शांति वार्ता में मदद करने से व्हाइट हाउस में उनका गर्मजोशी से स्वागत होगा। इमरान यह उम्मीद भी कर रहे हैं कि वह अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों में आई कड़वाहट को दूर करने और निवेश आकर्षित करने में सफल होंगे। खस्ताहाल पाकिस्तान को इस समय विदेशी निवेश की बड़ी जरूरत है। बतौर प्रधानमंत्री अमेरिका के पहले दौरे पर जा रहे इमरान सोमवार को राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात करेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि ट्रंप के साथ बैठक के दौरान अफगानिस्तान युद्ध को खत्म कराने और आतंकियों से मुकाबले में पूरे सहयोग का आश्वासन देकर इमरान दोनों देशों के संबंधों को पटरी पर लाने और निवेश पाने का प्रयास करेंगे। लंदन के रॉयल इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स से जुड़ी फरजाना शेख ने कहा, यह हालांकि बहुत कुछ राष्ट्रपति ट्रंप के मूड पर निर्भर करेगा।
सेना प्रमुख बाजवा भी होंगे साथ- इस दौरे पर इमरान के साथ सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा भी होंगे। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के साथ होने वाली बातचीत में वह पर्दे के पीछे से अहम भूमिका निभाएंगे। इससे यह भी जाहिर होता है कि पाकिस्तान की सेना अमेरिका से सैन्य सहायता के तौर पर मिलने वाली आर्थिक मदद फिर से पाने की जुगत में है। विश्लेषक आयशा सिद्दीकी ने कहा, इस दौरे पर सेना करीब से नजर रख रही है क्योंकि उसे पैसों की बेहद जरूरत है।
ट्रंप ने रोकी थी सैन्य सहायता- ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं। ट्रंप ने पिछले साल सीधे कहा था कि पाकिस्तान ने झूठ और फरेब के अलावा कुछ नहीं दिया। वह आतंकियों को सुरक्षित पनाह दे रहा है। उन्होंने आतंकी संगठनों का समर्थन करने के कारण पाकिस्तान को अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक मदद भी रोक दी थी। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने के आरोप में बीते बुधवार को गिरफ्तार किया गया था। वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी है। अमेरिका ने उस पर एक करोड़ डॉलर (करीब 70 करोड़ रुपए) का इनाम रखा है। ट्रंप ने उसकी गिरफ्तारी का स्वागत किया था।