लखनऊ। उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों पर खारिज स्लैब परिवर्तन को एक बार फिर वार्षिक राजस्व आवश्यकता में शामिल करने का आरोप लगाते हुये नियामक आयोग से इसे खारिज करने की मांग की है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने प्रदेश की बिजली कम्पनियों ने पूर्व में खारिज स्लैब परिवर्तन को पुन: वर्ष 2021-22 के लिये दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता में शामिल करके चोर दरवाजे से छोटे उपभोक्ताओ की बिजली दरों में बढ़ोतरी की जो साजिश की है,उसके खिलाफ उपभोक्ता परिषद् ने विद्युत नियामक आयोग में आज एक लोकमहत्व जनहित प्रत्यावेदन दाखिल कर विजली कंपनी की एआरआर याचिका को खारिज करने की मांग आयोग से उठाई है।
उन्होने मांग की कि आयोग कम्पनियो के प्रस्ताव को खारिज कर सुमोटो कार्यवाही शुरू करे और प्रदेश के उपभोक्ताओ का जो पैसा बिजली कम्पनियो पर निकल रहा उसके एवज में प्रदेश के उपभोक्ताओ की बिजली दरों में 25 प्रतिशत की कमी कर आयोग हिसाब बराबर करे। वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद् के आरोप से बिजली कम्पनियो की मुश्किल बढ़ना तय है जब वर्ष 2019-20 व 2020-21 आयोग द्वारा जारी टैरिफ आदेश के खिलाफ बिजली कम्पनियो ने नियामक आयोग में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है जो विचाराधीन है तो बिना फैसला आये बिजली कम्पनियो ने पुन: अपटेल में मुकदमा दाखिल कर दिया जो एक संवेधानिक प्रक्रिया का खुला उल्लघंन है।
दूसरी तरफ आयोग ने बिजनेस प्लान में जब वर्ष 2021-22 के लिए वितरण हानिया 11.08 प्रतिशत अनुमोदित कर दी फिर एआरआर में उसे बढ़ाकर 16.64 प्रतिशत प्रस्तावित करना आयोग आदेश का खुला उल्लघंन के साथ ही आयोग आदेश की अवमानना भी है। तीसरा संबसे गंभीर मामला जिस स्लैब परिवर्तन को आयोग ने नकार दिया उसी के आधार पर पुन: चोर दरवाजे से बिजली दर बढ़ाने की साजिश की जा रही जिसको आधार बनाकर उपभोक्ता परिषद् ने बिजली कम्पनियो की याचिका को खारिज करने की मांग कर दी है और लिखित लोकमहत्व प्रत्यावेदन दाखिल कर दिया है।