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इटावा में स्कॉन अजगरो की दहशत खत्म करने में जुटा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 12 2019 3:18PM | Updated Date: Sep 12 2019 3:18PM
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इटावा। उत्तर प्रदेश के इटावा में वन्य जीव संस्था सोसायटी फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर(स्कॉन) के विशेषज्ञ अजगरों की दहशत से मुक्ति दिलाने में जुटे है। इटावा के प्रभागीय निदेशक वन सत्यपाल सिंह ने गुरूवार को यहां बताया कि इटावा के आसपास अजगरों के मिलने से लोगों में दहशत फैल रही है। वन्यजीव संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (स्कॉन)के सचिव संजीव चौहान को अजगर के पकड़ने में खासी महारत हासिल है। अजगरों को पकड़ने और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुचाने के लिये स्कॉन का सहारा लिया गया है। उन्होंने बताया कि स्कॉन के विशेषज्ञ संजीव चौहान वन विभाग के अधिकारियों के बुलावे पर उस स्थान पर पहुंचते है जहॉ पर अजगरो के निकलने की खबर मिलती है। वहॉ से कडी मशक्कत के बाद अजगर को पकड़कर उसको प्राकतिक वास में छोड़ने का काम करते है। स्कान सचिव संजीव चौहान और उनकी टीम ने कई अजगरों को पकड़ा है। हालांकि इन अजगरों की कोई तथ्यात्मक गणना नहीं की गई है।
 
संजीव का कहना है कि करीब दस सालों से वे अजगरों को पकडने का काम कर रहे है। उनकी संस्था की ओर से लगातार लोगों को अगजरो के प्रति सचेत किया जाता है जिसका नतीजा यह निकलता है कि आज तक यहॉ किसी ने भी अजगरो को जानबूझकर के नुकसान नही पहुंचाया है । कभी चम्बल के डाकुओ के आतंक की जद में रहा उत्तर प्रदेश का इटावा जिला आज अजगरों के सबसे बड़े आशियाने के तोर पर पहचाना जा रहा है। हर एक दिन कही न कही अजगर निकलते हुए नज़र आ रहे है। अजगर किसी को जान का नुकसान नही पहुंचा सकता लेकिन लोगों में अजगरो की आहट ही लोगो को डराने के लिए काफी समझी जाती है । वन विभाग  का काम जमीन से बाहर आ रहा अजगरों को पकड़ने का होता है। उनके पास किसी भी विशेषज्ञ के न होने के कारण वन्यजीव संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर इटावा में निकलने वाले अजगरों को पकडने का एक मात्र सहारा है । संजीव चौहान ने बताया कि उनकी टीम अब तक कई सैकड़ा से अधिक अजगरों को पकड़कर के उनके प्राकृतिक वास में छोड़ चुकी हैं।
 
उन्होंने बताया कि अजगरों के प्राकृतिक वास के समाप्त होने और भोजन की तलाश में वे  शहरी क्षेत्र में लगातार आ रहे हैं । चंबल की हकीकत यही है कि चंबल में लगातार निकल रहे अजगरों की वजह से बच्चें न केवल डर रहे है बल्कि घरों में कैद हो गये हैं। प्रभागीय निदेशक वन का कहना है कि गांव वाले घर से निकलने से पहले सतर्कता बरतें और सुबह व शाम को विशेष रूप से अलर्ट रहने की आवश्यकता है । उनका कहना है कि अजगर ऐसा सांप है जो सामान्यता लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाता है। अजगरों के शहर की ओर आने के पीछे मुख्य कारण जंगलों का खासी तादाद में कटान माना जा रहा है। उन्होंने बताया कि अजगर एक संरक्षित जीव है। हिंदुस्तान में अजगरों की संख्या काफी कम हैं। यह मानवीय जीवन के लिए बिलकुल खतरनाक नहीं है। सरीसृप प्रजाति का होने के कारण लोगों की ऐसी धारणा बन गई और इसकी विशाल काया के कारण लोगों में अजगर के प्रति दहशत फैल गई है।
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