लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद से ही राजनीतिक दलों की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है। सबसे ज्यादा फोकस सीट शेयरिंग को लेकर चल रहा है। क्योंकि यहीं से आगे की दशा और दिशा तय होती है। इस बीच एनडीए के घटक दल आरएलजेपी प्रमुख पशुपति पारस ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि वह इस्तीफा दे सकते हैं। अपने इस्तीफे को लेकर पशुपति पारस ने अहम वजह भी बताई है।
पशुपति पारस ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने इस बात का ऐलान किया कि वह केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे रहे हैं। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने यह अहम कदम क्यों उठाया। इसको लेकर पशुपति ने बताया कि मेरे साथ नाइंसाफी हुई है। दरअसल उन्होंने लोकसभा चुनाव में हुए सीट शेयरिंग को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि मुझ से और मेरी पार्टी के साथ नाइंसाफी की गई है।
बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी NDA में सीट बंटवारे को लेकर लंबे समय से पेंच फंसा हुआ था जो सोमवार देर राश पूरा हो गया। सीट शेयरिंग को लेकर एक बार फिर बीजेपी ने अहम भूमिका निभाते हुए सभी दलों को राजी रखने की पूरी कोशिश भी की। बीजेपी बिहार में कुल 17 सीट पर चुनाव लड़ रही है जबकि जेडीयू को आम चुनाव के लिए 16 सीट दी गई हैं। यही नहीं अन्य सहयोगी दलों को भी जैसे चिराग पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) को भी पांच सीटें दी गई हैं।
इसके अलावा जीतनराम मांझी के राजनीतिक दल HAM को भी चुनाव में 1 सीट दी गई है। इसके साथ उपेंद्र कुशवाह की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल को भी एक सीट दी गई है। हालांकि इन सब लोगों को सीटें देने के बाद पशुपति पारस के लिए एक भी सीट नहीं बची। यानी आगामी लोकसभा चुनाव में एनडीए के साथ पशुपति पारस चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
पशुपति पारस से प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब यह पूछा गया है कि क्या केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद आगामी लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन कर सकते हैं तो इस पर पशुपति पारस ने सीधे-सीधे जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जितना वह कहना चाहते थे उन्होंने प्रेस वार्ता में कह दिया है। भविष्य में क्या होगा इसको लेकर आगे ही पता चल पाएगा।