शिलांग। मेघालय में पाई जाने वाली आॅर्किड की खूबसूरत प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा है और ऐसे में जीवविज्ञानियों एवं ऑर्किड विशेषज्ञों ने इन्हें संरक्षित रखने और बचाने के लिए कम से कम 20 वनों को ‘‘बॉयोटाइप अभयारण्य’’ घोषित किए जाने पर विचार करने की सलाह दी है।
भारत में ऑर्किड की 1,331 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से एक तिहाई प्रजातियां केवल मेघालय में होती हैं। आॅर्किड की कई प्रजातियां गारो हिल्स के नोक्रेक बॉयोस्फीयर रिजर्व, चार वन्यजीव अभयारण्यों, संरक्षित वनों और राज्य भर में 125 से अधिक उपवन में पाई जाती हैं। ये फूल एक विशेष स्थान पर उगते हैं और इनका विकास बहुत धीमा होता है। इनके उगने के स्थान नष्ट हो रहे हैं और इसलिए इनके लिए संरक्षित क्षेत्र को बढाए जाने की आवश्यकता है।
डॉ. सी एस राव ने कहा, वे इलाके जहां अपेक्षाकृत शांत घने वन हैं उन्हें बॉयो-टाइप अभयारण्य या बेंचमार्क स्थल घोषित किया जाना चाहिए ताकि इन फूलों के उगने के स्थान और अधिक नष्ट नहीं हों तथा मानवशोषण के कारण ये फूल विलुप्त नहीं हों। डाॅ. राव यहां एक प्रतिष्ठित कॉलेज में लेक्चरर हैं। उन्होंने भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के एक वैज्ञानिक डा. एस के सिंह के साथ मिलकर एक पुस्तक लिखी है जिसमें उन्होंने ऑर्किड की विलुप्तप्राय: प्रजातियों को सूचीबद्ध किया है।
इस बीच मेघालय विविधता बोर्ड के सचिव डी सत्यन ने कहा कि राज्य के वन विभाग ने कुछ स्थानीय प्रजातियों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए पहले ही कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि आॅर्किड समृद्ध वनों को विकसित और संरक्षित करने की फिलहाल कोई योजना नहीं है लेकिन बोर्ड इन वनों में अन्य विविध जीवों पर ध्यान देने पर विचार कर सकता है।