भोपाल। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत मध्यप्रदेश के ग्रामीण अंचल में स्व-सहायता समूहों के माध्यम से बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार-मूलक गतिविधियों से जोड़ा गया है। आज यहां जारी सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार वर्तमान में दो लाख सतासी हजार से अधिक स्व-सहायता समूहों से बत्तीस लाख सत्ताइस हजार महिलाएं सदस्य के रूप में जुड़ी हैं। महिलाओं के इन समूहों को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाते हुए उनके द्वारा तैयार सामग्री के विक्रय के लिये बाजार भी उपलब्ध करवाया है। महिला स्व-सहायता समूह की 652 शिक्षित महिलाएं बैंक-सखी के रूप में भी कार्य कर रही हैं।
ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित महिला स्व-सहायता समूह की शिक्षित महिलाओं को बैंक प्रणाली से जोड़ा गया। ऐसी शिक्षित महिलाओं को जरूरी प्रशिक्षण दिया जाकर उन्हें बैंक सखी के रूप में पहचान दी गई। इन सभी बैंक सखियों ने भी महिला सशक्तिकरण की दिशा में कार्य कर शानदार मिसाल पेश की है। ग्रामीणों द्वारा अपनी छोटी-छोटी बचत कर बैंक में जमा करने और समय-समय पर आवश्यकता पड़ने पर बैंक से अपनी बचत राशि निकाली जाती है।
कोरोना संक्रमण के चलते अपनी बचत राशि की आवश्यकता होने और बैंक तक नहीं पहुंचने की स्थिति में बैंक-सखियों की मदद से ग्रामीणों को बैंक में जमा रशि आसानी से अपने घर बैठे ही मिल गई। लॉकडाउन अवधि में 652 बैंक-सखियों द्वारा बैंक खातेदारों के साथ तीन लाख बयालीस हजार बैंक ट्रांसजेक्शन किये गये। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में बासठ करोड़ तेइस लाख रुपये की राशि संबंधित खातेदारों तक पहुँची।