नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में न्यायपालिका पर पलटवार करते हुए सोमवार को कहा कि कॉलेजियम द्वारा भेजे गये नामों पर सरकार की ओर से की जाने वाली देरी का आरोप लगाने से पहले उच्च न्यायालयों में सुधार की जरूरत है। न्यायपालिका को पहले अपना घर दुरुस्त रखने की सलाह देते हुए एटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति संजय किशन कोल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ से कहा, पहले उच्च न्यायालयों में सुधार की जरूरत है। शीर्ष अदालत सरकार पर सवाल उठाती है कि उसने एक नाम पर मोहर लगाने में 100 दिन का समय लगा दिया, लेकिन, जब उच्च न्यायालय जजों की नियुक्तियों के लिए नाम भेजने में पांच साल का समय लगाता है
तो इसका क्या? पीठ ने उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में न्यायिक नियुक्तियों की समय सीमा को एक चार्ट के माध्यम से दिखाने को कहा था। वेणुगोपाल ने एक चार्ट पेश किया, जिसके अनुसार, एक जज की नियुक्ति के लिए खुफिया ब्यूरो की एक रिपोर्ट मिलने में 127 दिन का समय लग रहा है। जब पीठ ने आईबी की रिपोर्ट में ज्यादा समय लगने पर चिंता व्यक्त की तो वेणुगोपाल ने जवाब दिया कि अधिकारियों को इन रिपोर्ट को लेकर क्यों दोषी ठहराया जा रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को अपनी खुद की प्रक्रिया में 119 दिन का समय लगता है, जबकि सारी रिपोर्ट उपलब्ध रहती है।