उत्तराखंड। उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा विधायकों का टिकट काटकर नए चेहरे को टिकट दे सकती है। सत्ता विरोधी लहर को देखते हुए भाजपा यह रणनीति अपनाने पर विचार कर रही है। हालांकि भाजपा ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की है। भाजपा नेताओं का मानना है कि सिटिंग विधायकों का टिकट कर जनता के असंतोष से पार पाया जा सकता है। राज्य के भाजपा नेताओं के अनुसार पिछले पांच वर्षों में भाजपा के द्वारा किए गए काम लोगों के सामने है। इसलिए अब सारा ध्यान इसपर है कि पार्टी किस तरह से टिकट का वितरण करती है और ख़राब प्रदर्शन करने वाले कितने विधायकों का टिकट काटती है।
नेताओं का मानना है कि जिस तरह से पांच सालों में तीन बार मुख्यमंत्री बदला गया और जनता के ऊपर इसका सीधा प्रभाव पड़ा, उसी तरह पुराने विधायकों की जगह नए उम्मीदवार को लड़ाकर इस बार के विधानसभा चुनाव में जनता के मूड को बदला जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस बार भाजपा करीब अपने 12 से अधिक विधायकों के टिकट काट सकती है। माना जा रहा है कि इसी वजह से अभी तक भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया है। उत्तराखंड में भाजपा ने पांच साल में तीन मुख्यमंत्री बनाए। चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया। उसके बाद पिछले साल मार्च महीने में त्रिवेंद्र रावत को हटाकर तीरथ रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया। तीरथ सिंह रावत चार ही महीने मुख्यमंत्री रहे।उनके बाद पुष्कर सिंह धामी को राज्य की कमान सौंपी गई गई। पिछले दिनों उत्तराखंड; के दौरे पर आए केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने तीन मुख्यमंत्री बनाए जाने के फेसले पर कहा कि यह पार्टी का आंतरिक मामला है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे मुख्यमंत्री में कोई कमी थी। बड़ी पार्टी में कई चीजों को देखकर फैसले लेने पड़ते हैं।
14 फरवरी को मतदान कराया जाएगा और 10 मार्च को मतगणना होगी। उत्तराखंड विधानसभा का कार्यकाल 23 मार्च को समाप्त हो रहा है। बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को कुल 70 सीटों में से 57 सीट पर जीत हासिल हुई थी।