नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की ओर से शुक्रवार को प्रदेश के मुख्य सचिव ओमप्रकाश समेत तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को अवमानना नोटिस जारी किया गया न्यायालय के पूर्व के आदेश का अनुपालन नहीं किये जाने के मामले में नोटिस जारी किये गये हैं। पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को संवैधानिक प्रक्रिया के तहत अभी नोटिस जारी नहीं किया गया है।
जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी किया गया है उनमें पूर्व मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा एवं भुवन चंद्र खंडूरी शामिल हैं। देहरादून की गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) रूरल लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट केन्द्र (रलेक) की ओर से दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के बाद नोटिस जारी किये गये हैं। न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की अदालत में आज याचिका पर सुनवाई हुई। पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को याचिका में पक्षकार नहीं बनाया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि संवैधानिक प्रक्रिया के तहत धारा 361 के तहत उन्हें नोटिस जारी किया गया है। नोटिस अवधि खत्म होने के पश्चात उनके खिलाफ भी अवमानना याचिका दायर की जा सकेगी। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों की ओर से उच्च न्यायालय के 03 मई 2019 के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है।
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रमेश रगंनाथन की अगुवाई वाली खंडपीठ की ओर से पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाले आवास एवं अन्य सुविधाओं को अवैध और असंवैधानिक घोषित कर दिया गया था तथा सभी को छह माह के अंदर आवास किराया एवं अन्य मदों का भुगतान बाजार दर पर करने के निर्देश दिये थे। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि सरकार की ओर से भी आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है।
गुप्ता ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी को भी मामले में पहले पक्षकार बनाया गया था लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उन्हें इससे अलग कर दिया गया। गुप्ता ने बताया कि अदालत ने सभी पक्षकारों से पूछा है कि क्यों नहीं सभी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही अमल में लायी जाये। अदालत ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को देहरादून के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के माध्यम से सभी पक्षकारों को नोटिस सुनिश्चित करवाने के निर्देश दिये हैं। मामले में चार सप्ताह बाद सुनवाई होगी।
युगलपीठ ने रलेक की ओर से 2010 में दायर जनहित याचिका को पूरी तरह से निस्तारित करने के बाद ये आदेश जारी किये थे। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री आवास आवंटन, नियमावली 1997 उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों पर लागू नहीं होती है। सरकार की ओर से सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास आवंटित किये गये हैं। जो कि गलत है। याचिकाकर्ता की ओर से सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से बाजार दर पर किराया वसूलने की मांग की थी।