19 Apr 2024, 12:12:45 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
State

राहत इंदौरी बनना चाहते थे चित्रकार

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 12 2020 12:43AM | Updated Date: Aug 12 2020 12:44AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

मुंबई। उर्दू शायरी को नया आयाम दिलाने वाले महशूर शायर और गीतकार राहत इंदौरी अपने करियर के शुरुआती दौर में चित्रकार बनना चाहते थे। मध्य प्रदेश के इंदौर में 01 जनवरी 1950 को जन्में राहत इंदौरी के पिता रफ्तुल्लाह कुरैशी कपड़ा मिल के कर्मचारी थे। राहत साहब का बचपन का नाम कामिल था। बाद में इनका नाम बदलकर राहत उल्लाह कर दिया गया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर में हुई। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। 

राहत इंदौरी ने अपने ही शहर में एक साइन-चित्रकार के रूप में 10 साल से भी कम उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। चित्रकारी उनकी रुचि के क्षेत्रों में से एक थी और बहुत जल्द ही बहुत नाम अर्जित किया था। वह कुछ ही समय में इंदौर के व्यस्ततम साइनबोर्ड चित्रकार बन गए। यह भी एक दौर था कि ग्राहकों को राहत द्वारा चित्रित बोर्डों को पाने के लिए महीनों का इंतजार करना भी स्वीकार था। राहत इंदौरी बॉलीवुड फिल्म के पोस्टर और बैनर भी पेंट करते थे। 

राहत इंदौरी केवल पढ़ाई में ही नहीं बल्कि वह खेलकूद में भी प्रवीण थे। वह स्कूल और कॉलेज स्तर पर फुटबॉल और हॉकी टीम के कप्तान भी थे। वह केवल 19 वर्ष के थे जब उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में अपनी पहली शायरी सुनाई थी। उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में अपनी स्रातक की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद 1975 में बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से उर्दू साहित्य में स्राकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। वर्ष 1985 में मध्य प्रदेश के भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में उन्होंने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।

राहत इंदौरी इंद्रकुमार कॉलेज, इंदौर में उर्दू साहित्य का अध्यापन कार्य शुरू कर दिया। इस बीच वह मुशायरों में व्यस्त हो गए और पूरे भारत से और विदेशों से निमंत्रण का सिलसिला शुरू हो गया। उनकी अनमोल क्षमता, कड़ी लगन और शब्दों की कला की एक विशिष्ट शैली थी, जिसने बहुत जल्दी एवं बहुत अच्छी तरह से जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया। राहत साहब ने बहुत जल्दी ही लोगों के दिलों में अपने लिए एक खास जगह बना ली और तीन से चार साल के भीतर ही उनकी कविता की खुशबू ने उन्हें उर्दू साहित्य की दुनिया में स्थापित कर दिया। उन्होंने कनाडा, अमेरिका, जर्मनी, पाकिस्तान, इंग्लैंड, नेपाल और बांग्लादेश के 100 शहरों में अपनी कविता का पाठ किया है।

राहत इंदौरी ने कई बॉलीवुड फिल्मों के लिये भी गीत लिखे। उनके गीतों में कुछ हैं, आज हमने दिल का हर किस्सा (सर), तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है (खुद्दार), दिल को हजार बार रोका (मर्डर), एम बोले तो मैं मास्टर (मुन्नाभाई एमबीबीएस), धुआं धुआं (मिशन कश्मीर), चोरी-चोरी जब नजरें मिलीं (करीब), देखो-देखो जानम हम दिल (इश्क), कोई जाये तो ले आये (घातक), नींद चुरायी मेरी (इश्क) और मुर्शिदा (बेगम जान) शामिल हैं।

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »