नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि देश में कोरोना वायरस‘कोविड-19’ की जांच कम नहीं हो रही हैं और यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही की जा रही हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी राजेश भूषण ने मंगलवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में इन बातों को गलत करार दिया कि देश में कोरोना वायरस की जांच आबादी के अनुपात में नहीं हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि इस मामले में डब्ल्यूएचओ ने दिशा-निर्देश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि प्रतिदिन प्रति 10 लाख लोगों में 140 लोगों की कोरोना जांच उपयुक्त मानक है और इसी का अनुसरण करते हुए देश में कोरोना वायरस जांच की जा रही है। देश में 22 राज्य ऐसे हैं जो इस मानक को पूरा कर रहे हैं। कोरोना मरीजों की जांच करने का भारत का औसत 210 मरीज प्रति दिन प्रति 10 लाख व्यक्ति हैं और मिजोरम जैसे छोटे राज्य में यह 149 हैं तो दिल्ली में कोरोना मरीजों की प्रति 10 लाख आबादी पर होने वाली जांच का आंकड़ा 978 है तथा गोवा में यह आंकड़ा 1058 मरीजों का है। तमिलनाडु में 563 और महाराष्ट्र में 198 लोगों की प्रति दिन प्रति 10 लाख आबादी पर जांच की जा रही है।
उन्होंने अन्य राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से अपील की है कि वे अपने यहां जांच का दायरा बढ़ाए और जितनी अधिक संख्या में लोगों की कोरोना जांच होगी उतने ही संदिग्ध लोगों की जल्द पहचान होगी और उनका उपचार भी त्वरित गति से संभव हो सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही देश में कोरोना वायरस के कारण होने वाली मौतों की दर विश्व की तुलना में कम है लेकिन हमें इससे संतुष्ट नहीं होना है और अपने स्वास्थ्य से जुड़े आधारभूत ढांचे को उन्नत करने की आवश्यकता है क्योंकि देश पहले से तैयार था तभी आज कोरोना से बूखबी निपटने में सक्षम हुआ जा सका है।
उन्होंने कहा कि जब तक कोरोना की कोई पुख्ता दवा या वैक्सीन नहीं बन जाती तब तक सामाजिक दूरी, मुंह को मास्क या कपड़े से ढकने, हाथों को बार-बार धोने और सार्वजनिक स्थानों पर थूकने जैसी आदतों में बदलाव लाना होगा तथा लोगों को इसके बारे में जागरुक करना होगा।