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एक शिक्षक ने वर्ष 2007 में दिया था नो बेग डे का सुझाव

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 23 2020 4:49PM | Updated Date: Feb 23 2020 4:50PM
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जयपुर। राजस्थान में स्कूलों में बच्चों को सप्ताह में एक दिन बस्ते की छुट्टी करने एवं इस दिन नैतिक एवं कौशल शिक्षा देने के नवाचार का सुझाव वर्ष 2007 में जालोर के एक शिक्षक ने दिया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अपने बजट भाषण में राज्य की सरकारी स्कूलों में शनिवार को नो बैग डे की घोषणा की है और इस पर जालोर जिले में रेवदर उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक संदीप जोशी ने खुशी जताते हुए राज्य सरकार का आभार जताया है।
 
जोशी ने बजट में शनिवार को नो बेग डे घोषित करने पर राज्य सरकार को बधाई देते हुए कहा कि शिक्षा केवल बस्ते पर  ही आधारित नहीं, बिना बस्ते के भी सीखी जा सकती है। उन्होंने इसे मैकाले की  रटन परम्परा से मुक्ति की ओर एक कदम बताया। उन्होंने कहा कि बिना बस्ते के  पढ़ सकते है योग शिक्षा, पर्यावरण शिक्षा, खेलकूद, मौखिक गणित, नक्शें  द्वारा भूगोल, पुस्तकालय, अभिव्यक्ति गीत और संगीत एवं नृत्य। उन्होंने एक  शिक्षक के सुझाव को मान्यता मिलने के लिए राज्य सरकार का आभार भी जताया।
 
जोशी ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2007 में इस तरह का नवाचार करने का सुझाव व्यक्त किया था कि राजस्थान समेत अनेक राज्यों में कर्मचारियों के लिए फाइव डे वीक है केन्द्र सरकार के कर्मचारियो के लिए भी सप्ताह में पांच दिन कार्य दिवस होते है एवं सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध केन्द्रीय विद्यालयों में भी शनिवार एवं रविवार की छुट्टी होती है, ऐसे में  सुझाव है कि सप्ताह में एक दिन बच्चों के बस्ते की छुट्टी कर दी जानी चाहिए। शनिवार को विद्यालय की छुट्टी भले ही न हो लेकिन बस्ते की छुट्टी अवश्य कर देनी चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि उनका सुझाव था कि सप्ताह में एक दिन बच्चे स्कूल में शरीर, मन एवं आत्मा का विकास करने वाली शिक्षा ग्रहण करेंगे और शिक्षा शब्द को सार्थकता देंगे। उन्होंने शनिवार को अध्यापन एवं कालांश की योजना भी बताई। शनिवार को भी नियमानुसार कालांश तो लगाये जाये पर उनका प्रकार बदला हुआ होगा, जैसे प्रार्थना सत्र के बाद पहला कालांश योग, आसन, प्राणायाम, व्यायाम का किया जा सकता है। 
 
उन्होंने बताया कि राज्य में उच्च प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों भी बच्चों को विज्ञान के प्रयोग सिखाने के लिए अब उच्च प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में विज्ञान किट उपलब्ध कराये जा रहे हैं, इस तरह का प्रयोग भी उन्होंने वर्ष 2009 में अपने स्तर पर क्रियान्वयन किया था। उन्होंने बताया कि बच्चों के बस्ते के बोझ को कम करने संबंधित मासिक पाठ्यपुस्तक के सुझाव को महाराष्ट्र में अपनाया जायेगा। महाराष्ट्र में ठाणे म्युनिसिपल कार्पोरेशन( टीएमसी) द्वारा संचालित 150 विद्यालयों में आगामी सत्र से महीना आधारित पाठ्यपुस्तकों द्वारा अध्यापन शुरु किया जायेगा।
 
उन्होंने बताया कि इससे पूर्व राजस्थान में राज्य सरकार द्वारा पहले ही प्राथमिक स्तर पर इस योजना को लागू किया गया है। इससे राज्य के करीब सात लाख विद्यार्थियों को बस्ते के बोझ से राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि अभी प्रत्येक जिले में एक विद्यालय में पायलट प्रोजेक्ट के रुप में इसे लागू किया गया है।  आगामी सत्र से सभी विद्यालयों में इसे लागू किये जाने की संभावना है।
 
जोशी ने बताया कि दुष्कर्म, छेडछाड़ और सामाजिक असमानता को समाप्त करने की दिशा में भी उनके विद्यालयों में नवरात्रि एवं बालिका दिवस पर कन्या पूजन का आयोजन के नवाचार को भी गति मिली और पिछले पांच वर्षों से प्रदेश के कई विद्यालयों में इसे अभियान के रुप चलाया जा रहा है और इसके तहत बच्चों को इस विचार के साथ कन्या पूजन केवल धार्मिक आयोजन न होकर एक मनोवैज्ञानिक शिक्षण पद्धति है, जो बालक अपने छात्र जीवन में पांच-सात बार सामूहिक और सार्वजनिक रुप से कन्या पूजन कर लेगा उसका मन इन दुष्प्रवृतियों से दूर रहेगा।
 
उन्होने बताया कि गत वर्ष पन्द्रह सौ से अधिक विद्यालयों में लगभग सवा दो लाख विद्यार्थियो ने कन्या पूजन करके नारी सम्मान का संकल्प लिया। जोशी ने विद्यालय में पढने वाले विद्यार्थी छात्र जीवन से ही देश भक्ति का पाठ पढ़े, भारत को जाने, भारत को समझे, भारत का गर्व करे और इसके साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भारत संबंधी अपने सामान्य ज्ञान की वृद्धि करे, ऐसे कुछ उद्श्यों को लेकर विद्यालय में भारत दर्शन गलियारा बनाने का काम वर्ष 2012 से शुरु किया था। अब यह नवाचार राज्य के कई विद्यालयों में भी अपनाया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य के नौ जिलों में एक दर्जन से अधिक विद्यालयों ऐसे गलियारे तैयार हो चुके है।
 
उल्लेखनीय है कि गत बीस फरवरी को  प्रस्तुत राज्य बजट में राज्य सरकार ने प्रदेश की समस्त सरकारी विद्यालयों  में शनिवार को दिन नो बेग डे रखने की घोषणा की थी। शनिवार को कोई अध्यापन  कार्य नहीं होगा। इस दिन अभिभावक-अध्यापक मीटिंग के अलावा साहित्यिक एवं  सांस्कृतिक गतिविधियां, हैप्पीनेस थेरेपी, खेलकूद, व्यक्तित्व विकास,  स्काऊट, जीवन मूल्य एवं नैतिक शिक्षा, बाल सभाये तथा भाषा एवं कौशल विकास  एवं निरोगी राजस्थान के सूत्रों से संबंधित क्रियाये संपादित कराई जायेगी। 
 
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