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खींवसर उपचुनाव में मिर्धा और बेनीवाल परिवार फिर आमने सामने

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 18 2019 2:14PM | Updated Date: Oct 18 2019 2:14PM
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नागौर। राजस्थान के नागौर जिले में पुराने राजनीतिक प्रतिद्वंदी मिर्धा और बेनीवाल परिवार इक्कीस अक्टूबर को होने वाले खींवसर विधानसभा उपचुनाव में एक बार फिर आमने सामने हैं और दोनों में सीधा चुनावी मुकाबला होता नजर आ रहा है। उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार परवान चढा हुआ है और सत्तारुढ़ कांग्रेस तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) अपने उम्मीदवार के पक्ष में जी जान से लगी हुई है। चुनाव प्रचार का शोर शनिवार सायं पांच बजे थम जायेगा, इसलिए दोनों ही पार्टियां इस दौरान ज्यादा से ज्यादा चुनावी सभाएं करने की कोशिश कर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रही है। मिर्धा परिवार से कांग्रेस के उम्मीदवार पूर्व मंत्री हरेन्द्र मिर्धा हैं जबकि बेनीवाल परिवार से भाजपा और राष्ट्रीय लोकतांत्रितक पार्टी (रालोपा) की तरफ से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) प्रत्याशी नारायण बेनीवाल है जो सांसद हनुमान बेनीवाल के छोटे भाई हैं। चुनाव प्रचार में  मिर्धा के पक्ष में राज्य सरकार के कई मंत्री एवं कांग्रेस पार्टी के नेता चुनाव प्रचार कर रहे है जबकि राजग उम्मीदवार के पक्ष में रालोपा के राष्ट्रीय संयोजक हनुमान बेनीवाल एवं भाजपा के कई नेता चुनाव प्रचार में लगे हुए है। इस बार मिर्धा परिवार के चुनाव मैदान में कूद जाने से खींवसर में  मुकाबला रौचक होने की संभावना है। हालांकि हनुमान बेनीवाल खींवसर और मंडावा  दोनों उपचुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को  चुनौती देते हुए कहा है कि अगर कांग्रेस दोनों उपचुनाव हार जाती है तो  मुख्यमंत्री को कुर्सी छोड़ देनी चाहिए, अगर खींवसर से उनका भाई चुनाव  हारता है तो वह संसद सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे। हनुमान बेनीवाल अपने भाई  के अलावा मंडावा उपचुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी सुशीला सीगड़ा के पक्ष  में चुनाव प्रचार कर रहे है।             
 
मिर्धा ने नारायण बेनीवाल के पिता रामदेव बेनीवाल को मूंडवा विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1980 में विधानसभा चुनाव हराया था। हालांकि इसके अगले चुनाव में लोकदल उम्मीदवार के रुप में रामदेव बेनीवाल ने अपनी हार का बदला ले लिया और 1985 के विधानसभा चुनाव में मिर्धा को चुनाव में पराजित कर दिया। रामदेव बेनीवाल ने मूंडवा से 1977 में पहला चुनाव जीता था। हालांकि वह वर्ष 1990 में भी मूंडवा से चुनाव हार गये थे। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई खींवसर विधानसभा सीट पर इन दोनों परिवारों के बीच इससे पहले कभी चुनावी मुकाबला नहीं हुआ लेकिन खींवसर पहले विधानसभा चुनाव से हनुमान बेनीवाल का गढ़ रहा और अब तक हुए तीन विधानसभा चुनाव में दो चुनाव में प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा उनकी टक्कर में ही नहीं आ पाई जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उम्मीदवार दो बार दूसरे स्थान पर रहा। रामदेव बेनीवाल के बेटे हनुमान बेनीवाल वर्ष 2008 में भाजपा प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे। इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार दुर्ग सिंह दूसरे नम्बर पर रहे जबकि कांग्रेस के सहदेव केवल 13Þ 23 प्रतिशत ही मत ले पाये। इसके अगले चुनाव वर्ष 2013 में हनुमान बेनीवाल ने भाजपा छोड़ दी और निर्दलीय चुनाव लड़ा जिसमें वह लगातार दूसरी बार विधायक चुने गये। 
 
इस चुनाव में भी बसपा के प्रत्याशी दुर्ग सिहं ही दूसरे नम्बर पर रहे जबकि तीसरे स्थान पर रहे भाजपा के भागीरथ को 18Þ 16 एवं चौथे स्थान पर रहे कांग्रेस के राजेन्द्र को केवल 5Þ 90 प्रतिशत वोट ही मिले। इसके बाद हुए गत विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने चुनाव से ठीक पहले बनाई अपनी पार्टी रालोपा से चुनाव लड़कर लगातार तीसरी बार विधानसभा पहुंचे। इसमें उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार सवाई ंिसह चौधरी को हराया जबकि भाजपा प्रत्याशी रामचन्द्र उत्ता तीसरे स्थान पर रहे। इसके बाद हनुमान बेनीवाल ने भाजपा से हाथ मिला लिया और वह नागौर से सांसद चुने गये। खींवसर में इन दोनों प्रत्याशियों के अलावा एक निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में है लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और राजग उम्मीदवार में ही नजर आ रहा है। खींवसर उपचुनाव में दो लाख 50 हजार 763 मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग कर सकेंगे। जिसमें एक लाख 30 हजार 908 पुरुष एवं एक लाख 19 हजार 247 महिलाएं  शामिल है जबकि 608 सर्विस मतदाता हैं। उपचुनाव में 266 मतदान केन्द्र बनाये गये हैं जहां मतदान के लिए सुरक्षा सहित अन्य सभी व्यवस्थाएं की गई है।     
 
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