मुंबई। बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी हाल ही में सरोगेसी के जरिए मां बनी हैं। इससे पहले भी कई बॉलीवुड स्टार सरोगेसी के जरिए मां बन चुकी हैं। तभी से लोग गूगल पर क्या है सरोगेसी जमकर सर्च कर रहे हैं। इसी बीच आज हम आपको सरोगेसी क्या है और इससे जुड़ी कई जानकारी बताने जा रहे हैं। इसकी प्रक्रिया क्या होती है? सरोगेसी कौन करवा सकता है? ये तमाम सवाल हमारे मन में जरूर आते हैं।
सरोगेसी क्या है?
'सरोगेसी' का मतलब होता है किराए की कोख जिसमें एक महिला किसी अन्य जोड़े, जो बच्चे को जन्म नहीं दे पा रहे हैं, के लिए बच्चे को अपनी कोख से जन्म देती है और महिला के बच्चे के जन्म के बाद सभी अधिकार खत्म हो जाते हैं। यानी अगर कोई पति-पत्नी बच्चे को जन्म नहीं दे पा रहे हैं, तो वे सरोगेसी का सहारा ले सकते हैं। इस प्रक्रिया में किसी अन्य महिला की कोख को किराए पर लेकर बच्चे को जन्म दिया जाता है। बच्चे के जन्म के लिए जिस महिला की कोख को किराए पर लिया जाता है, उसे 'सरोगेट मदर' कहा जाता है।
इन स्थितियों में ले सकते हैं सेरोगेसी का सहारा
- कई बार कोशिश करने और दवाओं का इस्तेमाल करने के बाद भी गर्भपात हो रहा हो तो सेरोगेसी का सहारा लिया जा सकता है।
- भ्रूण आरोपण उपचार की विफलता के बाद सेरोगेसी के जरिए मां बना जा सकता है।
- गर्भाशय या श्रोणि विकार होने पर सेरोगेसी का ऑप्शन लिया जा सकता है।
- जिन महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट प्रॉब्लम या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं और वो गर्भ धारण नहीं कर पा रही हों। वो सेरोगेसी का सहारा ले सकती हैं।
कितने प्रकार की होती है सेरोगेसी
सेरोगेसी दो प्रकार की होती है। - ट्रेडिशनल और जेस्टेशनल
ट्रेडिशनल सरोगेसी - सरोगेसी की इस विधि में करिए पर ली गई कोख में पिता का स्पर्म महिला के एग्स से मैच कराया जाता है. इस सरोगेसी में जैनिटक संबंध सिर्फ पिता से होता है।
जेस्टेशनल सरोगेसी - इस विधि में माता-पिता के स्पर्म और एग्स को मेल टेस्ट ट्यूब के जरिए सेरोगेट मदर के गर्भाश्य में प्रत्यारोपित किया जाता है।
आखिर कौन बन सकेगी सरोगेट मदर?
परिवार या आपके जान-पहचान की करीबी रिश्तेदार सरोगेट मदर बन सकती है, वहीं कोई महिला जो सरोगेट मदर बन रही है या बन चुकी है, वह जीवन में सिर्फ 1 बार ही सरोगेट मदर बन सकेगी। एक बार से अधिक बार सरोगेट मदर नहीं बन सकती। वहीं सरोगेसी से पैदा हुआ बच्चा अगर विकलांग, मंदबुद्धि या किसी भी तरह की शारारिक या मानसिक परेशानी के साथ ही पैदा हुआ है तो उसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता। चाहे वह लड़की हो लड़का या चाहे जो भी हो, उसे उस बच्चे को स्वीकार करना ही होगा।