चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस कृषि कानूनों संबंधी किसानों की लड़ाई शीर्ष अदालत तक ले जाने का संकल्प लिया है। कृषि कानूनों को सिरे से खारिज कर पंजाब में इन्हें लागू न करने संबंधी निर्णय लेने के बारे में कांग्रेस विधायकों ने सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को अधिकृत किया।
इस आशय का फैसला कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद हुई मंत्रिमंडल की बैठक में किसानों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए कोई भी आवश्यक वैधानिक/कानूनी फैसला लेने के मुख्यमंत्री को अधिकृत किया है। अब सोमवार को विधानसभा के दो दिन के विशेष सत्र से पहले इन काले खेती कानूनों का मुकाबला करने के लिए रणनीति को अंतिम रूप दिया जायेगा।
कांग्रेस विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह लड़ाई जारी रहेगी और हम इसको सुप्रीम कोर्ट तक लेकर जायेंगे। कुछ दिन पहले कई किसान संगठनों ने विधानसभा सत्र बुलाए जाने की माँग थी। यह कदम पहले नहीं उठाया जा सका था क्योंकि कोई भी कदम उठाने से पहले सभी कानूनी पक्षों पर गहराई से विचार करना जरूरी था।
कैप्टन सिंह ने कहा कि खेती कानूनों का मुकाबला करने के लिए रणनीति को अंतिम रूप देने से पहले विधायकों, कानूनी माहिरों, वरिष्ठ वकील और कांग्रेस कमेटी के नेता पी. चिदम्बरम के साथ भी विचार-विमर्श किया जायेगा। उन्होंने बताया कि सारी दुनिया पंजाब की तरफ बहुत उम्मीद भरी नजरों से देख रही है और राज्य के किसानों और कृषि की रक्षा करने के लिए एक विस्तृत योजना बनाने हेतु विधायकों के विचार जानने बेहद जÞरूरी थे। यह लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक जारी रहेगी। पंजाब की कृषि और किसानों को बचाने के बारे में उन्होंने कहा कि जो भी फैसला होगा, वह किसानी के हित को ध्यान में रख कर ही लिया जायेगा। अकालियों को आड़े हाथों लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस दोगली बातें नहीं करती और खेती कानूनों संबंधी उसका स्टैंड बिल्कुल स्पष्ट है।