वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि लंबे समय ब्याज दरों के ज्यादा रहने से इकोनॉमिक रिकवरी पर असर पड़ सकता है। वित्त मंत्री ने कहा कि महंगाई को कम करने के लिए ब्याज दरों को एक मात्र सोल्यूशन के तौर पर इस्तेमाल किए जाने का बड़ा जोखिम है। उन्होंने आरबीआई जैसे सेंट्रल बैंकों को नसीहत देते हुए कहा कि महंगाई पर नियंत्रण के साथ ही आर्थिक विकास की प्राथमिकताओं पर भी ध्यान देना उतना ही जरुरी है।
राजधानी दिल्ली में बी-20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में जीडीपी आंकड़ा बेहतर रह सकता है। मोदी सरकार के नौ वर्ष के कार्यकाल का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत ने पिछले नौ साल में आर्थिक सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाया है। वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में कैपिटल एक्सपेंडिचर पर ज्यादा खर्च किए जाने के प्रावधान से अब के सकारात्मक संकेतों को अब महसूस किया जा सकता है।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि वैश्विक हालात पर जब नजर जाती है तो भारतीय अर्थव्यवस्था खुद अपनी कहानी बयान कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अपने सप्लाईचेन के विस्तार करने की जरुरत है। वित्त मंत्री ने कहा कि हमें किसी भी झटके से निपटने के लिए खुद को तैयार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत बनाने पर पूरा फोकस है लेकिन जरूरी वस्तुओं के आयात को नहीं रोका जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि ग्रोथ के लिए एफडीआई और उसके फ्लो से जुड़े नियमों को सरल बनाया जा रहा है। अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश के दावे को लेकर पश्चिमी मीडिया पर हमला बोलते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि बहुत सारे लोग सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं और हमें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें इससे कोई दिक्कत नहीं है।