लंदन। कोविड़-19 वायरस संक्रमण के प्रचार-प्रसार के बाद भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में हिंसक झड़प ने चीन के खिलाफ वैश्विक खेमेबंदी तेज कर दी है। चाहे वह क्वाड समूह या फिर कोई और, सभी मंचों से चीन की आक्रामक विस्तारवादी नीति के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं। इस कड़ी में ब्रिटेन में G-7 समूह की बैठक भी अछूती नहीं रही, जहां चीन के उइगर मुसलमानों के दमन और मानवाधिकारों के हनन समेत दक्षिण-चीन सागर में बीजिंग के प्रभाव को रोकने के लिए रणनीति पर चर्चा हुई। जाहिर है इससे ड्रैगन चिढ़ गया और उसने G-7 समूह को ही धमकी दे डाली कि वह समय बीत चुका है, जब कुछ देशों के छोटे समूह दुनिया की तकदीर का फैसला किया करते थे। गौरतलब है कि G-7 की बैठक में विकासशील देशों के बुनियादी ढांचे को विकसित करने पर भी चर्चा हुई है, जो चीन की महत्वाकांक्षी Belt and Road परियोजना को मात दे सके।
G-7 Meeting में लगभग हर देश को अपने खिलाफ जाता देख चीन बुरी तरह से बौखला गया है। ऐसे में इस समूह को अपने खिलाफ गुटबाजी के तौर पर देखते हुए चीन ने रविवार को धमकी भरे अंदाज में दो टूक कह दी। लंदन में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, 'वह समय काफी पहले बीत गया, जब देशों के छोटे समूह वैश्विक फैसले लिया करते थे। हम हमेशा यह मानते हैं कि देश बड़ा हो या छोटा, मजबूत हो या कमजोर, गरीब हो या अमीर सभी बराबर हैं और दुनिया से जुड़े मुद्दों पर सभी देशों के सलाह-मशविरे के बाद भी फैसला लिया जाना चाहिए।' G-7 के नेताओं ने चीन के वैश्विक अभियान के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक बुनियादी ढांचा योजना का अनावरण किया है, लेकिन फिलहाल इस पर सहमति नहीं बन पाई है कि मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चीन को किस तरह रोका जाए। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने जी-7 शिखर सम्मेलन में लोकतांत्रिक देशों पर बंधुआ मजदूरी प्रथाओं को लेकर चीन के बहिष्कार का दबाव बनाने की योजना तैयार की है।
कनाडाई PM जस्टिन ट्रूडो ने चीन को लेकर हुई चर्चा की अगुवाई की। उन्होंने सभी नेताओं से अपील की कि वे चीन की ओर से बढ़ते खतरे को रोकने के लिए संयुक्त कदम उठाएं। G-7 देश विकासशील देशों को ऐसे बुनियादी ढांचे की स्कीम का हिस्सा बनने का प्रस्ताव देने की योजना बना रहे हैं, जो चीन की अरबों-खरब डॉलर वाली बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को टक्कर दे सके। सुविज्ञ हो कि G-7 कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका का एक समूह है।