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AIIMS ने किया खुलासा, वैक्सीनेशन के बाद भी संक्रमित कर सकता है कोरोना का डेल्टा वैरियेंट

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 10 2021 6:33PM | Updated Date: Jun 10 2021 6:33PM
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नई दिल्‍ली। पूरे विश्व में कोरोना वैक्सीनेशन पर जोर दिया जा रहा है वैक्सीनेशना का काम बहुत तेजी से चल रहा है। भारत में मौजूद कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट अब कमजोर पड़ रहा है। इसी की वजह से देश में दूसरी लहर आई थी। लेकिन इस वायरस की वजह से पूरी दुनिया अब परेशान है। क्योंकि इसकी वजह से दुनिया के कई देशों में कोरोना संक्रमण की संख्या नीचे नहीं आ रही है। हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वैक्सीनेशन कोरोना संक्रमण से बचाव की गारंटी नहीं है पर इससे यह सुनिश्चित होगा है कि संक्रमण गंभीर नहीं हो। अब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा किए गए एक प्रारंभिक अध्ययन में भी यही दावा किया गया है। यह अध्य्यन छोटे समूह पर किया गया। इनमें 63 लोग शामिल किये गये। 63 में से 35 लोगों को वैक्सीन की दोनों खुराक दी गयी है और बाकी 27 लोगों को केवल एक खुराक दी गयी।
 
एम्स में हुए अध्ययन के दौरान 63 नमूनों में से 36 को अनुक्रमित उनमें से 19 लोगों को पहला डोज दिया गया था, जबकि 17 लोगों को दोनों खुराक दी गयी थी। उन सभी 36 नमूनो में से 23 नमूनो में डेल्टा संस्करण बी।1।617।2 पाया गया। 63 प्रतिभागियों में से 10 रोगियों को कोविशील्ड दी गयी थी, जबकि 53 को कौवैक्शीन का डोज दिया गया था। इनमें रोगियों की औसत आयु 37 वर्ष थी। जिनमें से 41 पुरुष और 22 महिलाएं थीं। 
 
एम्स ने बताया था कि इनमें किसी की मौत नहीं हुई इससे यह पता चलता है कि टीकाकरण से मृत्यु दर कम हो सकती है। वैक्सीन लेने के बाद दोबारा से कोरोना पॉजिटिव होना एक दुर्लभ घटना है और इसके जरिये संक्रमण की जीनोम प्रणाली को समझा जा सकता है। अध्ययन में कहा गया है कि वेरिएंट B।1।617।2 और B।1।1।7 चिंता के प्रमुख कारण थे क्योंकि अधिकांश मामलों में संक्रमण की वजह यही रहे हैं।
कोरोना के वेरिएंट को बेहतर ढंग से समझने के लिए कई अध्ययन चल रहे हैं। सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, हैदराबाद और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि वाराणसी में कोरोना संक्रमण में वृद्धि का कारण डेल्टा वैरियेंट था। भारत के SARS-CoV-2 जीनोमिक कंसोर्टिया ने भी पुष्टि की है कि दूसरी लहर के पीछे डेल्टा संस्करण बड़ा कारण था। यह यूके में पहली बार मिले संस्करण की तुलना में अधिक संक्रामक है।
 
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