नयी दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि बहुपक्षवाद गंभीर खतरे में है और संयुक्त राष्ट्र में सुधार वैश्विक समुदाय के हित में है। जयशंकर ने कहा, 'अगर हम उसी तरह से जारी रखते हैं, जिस प्रकार से वर्तमान में हैं और इस तथ्य को देखते हुए कि हमारे बीच साझा आधार बेहद कम है, खासतौर पर पी5 देशों के बीच, पांच स्थाई महाशक्तियां....हम संयुक्त राष्ट्र को कम विश्वस्नीय, कम प्रासंगिक बनाएंगे और मुझे नहीं लगता कि विश्व ऐसा चाहता है।'
विदेश मंत्री पुस्तक 'पोट्रेट्स ऑफ पावर: हाफ ए सेंचुरी ऑफ बीईंग एट रिग साइड' के विमोचन के दौरान पैनल चर्चा के दौरान बोल रहे थे। यह पुस्तक पूर्व नौकरशाह एवं वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिह ने लिखी है। जयशंकर ने कहा कि अब वक्त है कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार किया जाए और भाषणों तथा प्रतिबद्धताओं से आगे बढ़ा जाए।
उन्होंने कहा,' अगर इसमें गंभीर होना है, तो इस पर बातचीत होनी चाहिए। बातचीत का मतलब लिखित और रिकॉर्ड। बातचीत का मतलब आप इसे ए बिदु से बी बिदु पर ले जाइए और फिर इसे बी बिदु से सी बिदु तक ले जाइए।' गौरतलब है कि पिछले माह प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी ने भी कहा था कि संयुक्त राष्ट्र व्यापक सुधार के बिना 'विश्वास के संकट' का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा था,' हम पुराने ढांचे के साथ नई चुनौतियों का सामना नहीं कर सकते। व्यापक सुधार के बिना ,संयुक्त राष्ट्र विश्वास के संकट का सामना कर रहा है।'
जयशंकर ने कहा कि बहुपक्षवाद आज गंभीर खतरे में हैं। उन्होंने कहा कि द्बितीय विश्व युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति ने वास्तविक बहुपक्षवाद पेश किया लेकिन आज,' हम हितों का ज्यादा से ज्यादा संतुलन देख रहे हैं। बड़े देश ये और ज्यादा कर रहे हैं, अपने हितों पर उनका ध्यान ज्यादा केन्द्रित है।' उन्होंने कहा कि बहुपक्षवाद को बचाने के लिए देशों को आगे बढ़ने की जरूरत है।