नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीईसी) के कार्य निष्पादन की समीक्षा करते हुए कहा कि सीपीएसई का पूंजी निवेश सीतारमण ने यहां सीपीएसई के पूंजीगत निवेश की चौथी समीक्षा बैठक में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और कोयला मंत्रालय के सचिवों के साथ-साथ इन मंत्रालयों के तहत आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के 14 उद्यमों (सीपीएसई) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस वित्तीय वर्ष के पूंजीगत व्यय का जायजा लिया।
कोविड-19 महामारी की पृष्ठभूमि में आर्थिक प्रगति की रफ्तार को तेज करने के लिए विभिन्न भागीदारों के साथ वित्त मंत्री की बैठकों की श्रृंखला में यह चौथी बैठक थी। वित्त वर्ष 2019-20 में, इन 14 सीपीएसई के पूंजी व्यय के 1,11,672 करोड़ रूपये के लक्ष्य के मुकाबले 1,16,323 करोड़ रूपये का लक्ष्य हासिल हुआ जो कि 104 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2019-20, एच-1 उपलब्धि 43,097 करोड़ रूपये (39 प्रतिशत) रही और 2020-21 में एच-1 उपलब्धि 37,423 करोड़ रूपये (32 प्रतिशत) रही। 2020-21 के लिए पूंजीगत व्यय लक्ष्य 1,15,934 करोड़ रूपये था।
वित्त मंत्री ने सबद्ध सचिवों से कहा कि वे सीपीएसई के कार्य निष्पादन की बारीकी से निगरानी करें ताकि, वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही के अंत में पूंजीगत व्यय को पूंजी परिव्यय के 75 प्रतिशत तक लाना सुनिश्चित किया जा सके। इसके लिए समुचित योजना बनाई जानी चाहिए। सीतारामन ने कहा कि सबद्ध मंत्रालयों के सचिवों और सीपीएसई के सीएमडी के स्तर पर अधिक समन्वित प्रयास किए जाने की जरूरत है ताकि, पूंजीगत व्यय के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति को आगे बढ़ाने में सीपीएसई की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने सीपीएसई को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया कि वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और वित्त वर्ष 2020-21 के पूंजीगत परिव्यय के समुचित और समयबद्ध व्यय को सुनिश्चित करने के प्रयास करें। सीतारामन ने कहा कि सीपीएसई के बेहतर प्रदर्शन से अर्थव्यवस्था को कोविड-19 के प्रभाव से निकलने में बहुत मदद मिलेगी। सीपीएसई के पूंजीगत व्यय की समीक्षा, आर्थिक मामलों के विभाग और सार्वजनिक उद्यम विभाग द्वारा संयुक्त रूप से की गई।