नई दिल्ली। पद्मभूषण से सम्मानित भारतीय रंगमंच के शिखर पुरुष इब्राहिम अल्काजी का मंगलवार की दोपहर यहां एक निजी अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे और वर्षों से अलजाइमर रोग से पीड़ित थे। उनके परिवार में एक बेटा फैजल अल्काजी और बेटी अमाल अल्लाना है जो खुद देश के जाने माने रंगकर्मी है। अल्काजी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त किया है और पूरे देश मे रंगमंच को लोकप्रिय बनाने में उनकी भूमिका को याद किया।
मोदी ने ट्वीट कर कहा कि अल्काजी ने रंगमंच को लोकप्रिय बनाया और उसे देश मे फैलाया। इसके लिए वह हमेशा याद किए जाएंगे । उन्होंने कहा ‘‘ अल्काजी ने कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया था । उनके निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है और मैं दुख की घड़ी में उनके परिजनों के साथ हूं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।’’ अल्काजी की बेटी एवम राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की अध्यक्ष रही अमाल अल्लाना ने यूनीवार्ता को बताया कि उनके पिता का निधन करीब पौने तीन बजे हुआ। उनका अंतिम संस्कार कल होगा। कोविड के कारण वह अंतिम संस्कार की विशेष तैयारियों में लगी है ।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक सुरेश शर्मा पृर्व निदेशक देवेंद्र राज अंकुर सतीश आनंद काजल घोष शरद शर्मा ,महेश आनंद , रवींद्र त्रिपाठी समेत अनेक रंगकर्मियों और नाट्य समीक्षकों ने अल्काजी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और कहा कि उनके निधन से एक युग का अंत हो गया। उन्होंने भारतीय रंग मंच को विश्व स्तर तक पहुंचाया और विशिष्ठ पहचान दी। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के प्रथम निदेशक इब्राहिम अल्काजी देश के गिने चुने रंगकर्मी में से थे जिन्होंने आजादी के बाद भारतीय रंगमंच को एक नई दिशा दी।
उनके निधन से नाट्य जगत में शोक की लहर दौड़ गयी हैं। वह 1962 से 1977 तक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक थे। अठारह अक्टूबर 1925 को पुणे में जन्मे अलकाजी बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति थे और उनकी ख्याति केवल रंगमंच में ही नहीं थी बल्कि वह नामी-गिरामी फोटोग्राफर चित्रकार और कलासंग्रहणकर्ता भी थे। ‘अंधा युग’ , ‘आषाढ़ का एक दिन’ और ‘तुगलक’ जैसे नाटकों के यादगार निर्देशन के लिए नाटक जगत में मशहूर अल्काजी ने लंदन के रॉयल एकेडमी ऑफ लंदन से शिक्षा प्राप्त की थी।
इससे पूर्व उन्होंने पुणे के सेंट ंिवसेंट हाई स्कूल तथा मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की थी। वह अरबी अंग्रेजी मराठी और गुजराती भाषाओं के जानकार थे। उन्होंने आजादी के बाद आधुनिक रंगमंच को जन्म दिया था। अल्काजी ने ओम शिवपुरी, नसरुद्दीन शाह ओम पुरी, विजय मेहता, मनोहर सिंह , उत्तरा बावरकर ,रोहिणी हट्टंगड़ी अनुपम खेर जैसे कलाकारों को प्रशिक्षित किया था। अलकाजी को 1962 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और बाद में उन्हें अकादमी का सर्वोच्च सम्मान भी प्रदान किया गया था।