नई दिल्ली। बिहार के बक्सर जिले के मझवारी गांव स्थित क्वारंटाइन सेंटर पर रहने वाले अनूप ओझा खाने को लेकर काफी चर्चा में बने हुए हैं। अनूप अकेले दस आदमी के बराबर खाना खाते हैं। हालांकि अनूप की सेहत को देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि वे इतना खाते होंगे। जबकि उतनी ही डाइट कोई अन्य व्यक्ति करे तो वह उनके वजन में इजाफा कर देता है।
नाश्ते में तीन दर्जन से अधिक रोटियां व भोजन में 80 लिट्टी खाने के बाद भी अनूप का पेट नहीं भरा। अधिकारियों को इसपर विश्वास करना मुश्किल था। तब सेंटर पर जाकर अधिकारियों ने इसका जायजा लिया। अधिकारियों के सामने ही अनूप ने अपने भोजन से सभी को चकित कर दिया। तब इसकी चर्चा पूरे जिले में जोर-शोर से फैलने लगी। अब इसकी असली सामने आई है।
इस बात को लेकर हुईं तमाम रिसर्च में सामने आया कि खूब सारी कैलोरी लेने के बाद भी मोटे न होने के पीछे की अहम वजह होती है हमारे जेनेटिक कोड्स में। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च के अनुसार, जिन लोगों में ज्यादा खाना खाने के बाद भी फैट का असर नहीं दिखता, उसके पीछे आनुवांशिक जीन्स जिम्मेदार होते हैं। हालांकि सामान्य तौर पर वजन बढऩे के लिए जिम्मेदार जीन्स की कमी के चलते भी मोटापा न के बराबर होने या वजन धीमी गति से बढऩे की प्रवृत्ति पाई जाती है।
बक्सर जिले के खरहाटांड़ पंचायत निवासी 23 वर्षीय अनूप ओझा राजस्थान से बक्सर पहुंचे हैं। अनूप ओझा को जिले के मझवारी गांव में बने क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है। क्वारंटाइन सेंटर में 14 दिन पूरे होने पर उन्हें घर भेजने की तैयारी हो रही है। अनूप ओझा को घर जाने की जितनी खुशी हो रही है, उससे ज्यादा क्वारंटाइन सेंटर के रसोइये खुश हैं। क्वारंटाइन सेंटर में खाना बनानेवाले रसोइये भी अनूप की भूख से हैरान-परेशान रहे है। उनके भोजन के कारण से क्वारंटाइन सेंटर में रह रहे लोगों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।