अमरोहा। कोरोना संक्रमण के कारण जारी लाकडाउन के बीच ईद के त्योहार का रंग फीका बताते हुये अमरोहा के जाने माने कवि और स्तंभकार मुजाहिद चौधरी ने कहा कि संकट की इस घड़ी में त्योहार की खुशियां कमजोर और जरूरतमंदों की मदद कर पायी जा सकती है। चौधरी ने शायराना अंदाज में इस बार की ईद का जिक्र करते हुये कहा ऐसे माहौल में हम ईद मनाएं कैसे। अपने अहबाब को घर अपने बुलाएं कैसे । ना तरावीह ही हुईं और ना जुम्मा हमने पढ़ा। मस्जिदें बंद हैं फिर ईद मनाएं कैसे। सब से मिलना है मना हाथ मिलाना भी मना। अपने हमदम को भी सीने से लगाएं कैसे।। अपने गांव कोई परदेस से आए कैसे । हम भी उनके ही बिना ईद मनाएं कैसे।
उन्होने कहा कि ऐसी ईद सैकड़ों साल में पहली बार आई है जब ईद की रौनक दिखायी नहीं देती। मुस्लिम समाज में गरीब से गरीब परिवार में भी नए नए कपड़े जूते पहनने का रिवाज आज बरकरार नहीं रह पाएगा। ना आज रास्तों में नए कपड़े पहने हुए,टोपियां लगाए हुए लोग ईदगाह और मस्जिदों की ओर जाते हुए दिखाई देंगे और ना ही मस्जिदों और ईदगाहों में इबादतों का पाक शोर बुलंद होगा। शहर की गलियों और रास्तों में खुशबुओं के झोंके नहीं आएंगे। आज हर ईद की नमाज को दुआएं मांगने वाले हाथ एक साथ मिलकर दुनिया में अमनो- अमान, भाईचारा,मोहब्बत और दुश्मनों से हिफाजत की दुआएं भी नहीं मांग पाएंगे।
चांद रात और ईद के दिन मिलने वाले प्रेमी और प्रेमिकाएं भी आज के दिन एक दूसरे का दीदार नहीं कर पाएंगे । अपने घरों से दूर परदेश में नौकरी करने वाले परदेसी भी इस बार ना तो अपने घर पाएंगे और नाही अपने अपने परिवारों के साथ मिलकर ईद की खुशियां ही बांट पाएंगे। मीठी ईद के नाम से मशहूर 30 रोजों के बाद आने वाली ये मुबारक ईद जिसे ईद उल फितर कहा जाता है, और जिसका पूरे साल तक बेसब्री से इंतजार किया जाता है, इस बार मीठी नहीं है, फीकी-फीकी है । बहुत ही फीकी है।
उन्होने कहा कि सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे के लिए मशहूर ईद के त्योहार में आज प्रतिवर्ष मुस्लिम भाइयों के घर आने वाले हिंदू, सिख , ईसाई,बौद्ध्ध,पारसी, जैन भाइयों से भी मुस्लिम भाई गले नहीं मिल पाएंगे लेकिन ईद तो फिर भी है, मस्जिदों और ईदगाहों में नहीं तो अपने अपने घरों में नमाज पढ़कर देश और दुनिया में इंसानों की जान की हिफाजत मनो अमान, भाईचारा, मोहब्बत की दुआएं जरूर मांगें।
कवि ने अपील की कि समाज के ऐसे लोग जो समृद्ध हैं जिन पर जकात वाजिब है, वह जकात और सदका ए फितर जरूर अदा करें। अपनी ईद सादगी से मनाएं और अपने गरीब कमजोर और जरूरतमंद भाइयों की भरपूर मदद करें,जिस तरह आपके घर में ईद सादी ही सही मनाई जा रही हो, गरीबों और बेरोजगारों के घरों में भी घरों में भी ईद के त्यौहार की आमद हो सके वह भी ईद की खुशियां मना सकें।