लखनऊ। मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के संबंध में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के विवादित बयान को लेकर संत समाज ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है वहीं उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इसे मानसिक दिवालियापन का सूचक करार दिया है। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास ने कहा कि नेपाल की जनता का दुर्भाग्य है कि उसे अज्ञानी प्रधानमंत्री मिला है। अयोध्या का संबंध त्रेता युग से रहा है। शास्त्रों में अयोध्या प्रमाणित है।
शास्त्रों के अनुसार उत्तर दिशा में पावन सरयू नदी के तट पर अयोध्या नगरी है। अयोध्या से नेपाल के जनकपुर भगवान श्रीराम की बारात गई थी। सीता विवाह शास्त्रों में वर्णित है। उन्होने कहा कि अज्ञानी पीएम ओली को जनकपुर और अयोध्या का कोई ज्ञान नहीं है। उनका मकसद वास्तव में धार्मिक विवाद को हवा देकर दोनो देशों के बीच संबंध खराब करना है।
माँ सीता और भगवान राम का नैसर्गिक संबंध है। उन्होने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस संबंध में जरूरी विरोध दर्ज कराने की मांग की। उधर, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी नेपाली प्रधानमंत्री के बयान से खिन्न दिखायी पडे। उन्होने ट्वीट कर रामचरित मानस के दोहे के जरिये अपनी नाराजगी का इजहार किया ‘‘जाको प्रभु दारुण दुख दीन्हा। ताके मति पहिले हर लीन्हा ।। मौर्य ने कहा ‘‘ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी की जन्मस्थली को लेकर नेपाल के कम्युनिस्ट प्रधानमंत्री केपी शर्मा ‘ओली’ जी का अमर्यादित बयान उनके मानसिक दिवालियापन को दर्शाता है।
ओली जी को मालूम होना चाहिए कि नेपाल भी पूर्व में आर्यावर्त (भारत) का हिस्सा रहा है। जय जय श्री राम ।। अयोध्या के संतों ने कहा कि अयोध्या भगवान श्रीराम का जन्म स्थल है, यह पूरी दुनिया जानती है। भारत का नाम भगवान श्री राम के छोटे भाई भरत के नाम पर पड़ा। जब भगवान श्री राम लंका माता सीता को लेने और रावण का वध करने जा सकते हैं जो हजारों किलोमीटर दूर है तो माता सीता से विवाह कर नेपाल से लाना बहुत छोटी बात है।
नेपाल अयोध्या से कुछ 100 किलोमीटर दूरी पर है। उन्होने कहा कि नेपाल के प्रधानमंत्री का भगवान श्री राम के जन्मस्थल को लेकर विवादित बयान देना धार्मिक विवादों को बढ़ावा देने की कोशिश की है। नेपाल के पीएम वास्तव में चीनी वायरस के चपेट में आ चुके हैं।