कोरोना वायरस को आये हुए सात महीने से से ज्यादा हो गए हैं और इस महामारी का अब तक कोई स्थायी इलाज नहीं मिला है। हालांकि दुनियाभर के तमाम वैज्ञानिक दिन-रात इसका टीका या दवा बनाने में जुटे हैं। कई देशों के प्रयास अगले चरण तक भी पहुंचे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्तमान में कोरोना के कम से कम 21 टीकों पर काम चल रहा है।
हाल ही में रूस के शोधकर्ताओं द्वारा कोरोना की दवा का पहला मानव परीक्षण सफल करने का दावा किया गया है। इस बीच एक फ्रांसीसी विशेषज्ञ ने दावा किया है कि साल 2021 तक कोरोना वायरस के 100 फीसदी इलाज की दवा आने के चांस हैं। तब तक उन्होंने लोगों से सामाजिक दूरी के उपायों को और अधिक गंभीरता से लेने का आग्रह किया है।
मलेमेल की एक रिपोर्ट के अनुसार, महामारी विज्ञानी अरनौद फोंटानेट ने कहा, ‘एक वैक्सीन को बनने में कई साल लग जाते हैं। निश्चित रूप से एक टीका बनाने बड़े लेवल पर प्रयास जारी हैं लेकिन मुझे लगता है कि साल 2021 तक हमें कोरोना का प्रभावी टीका मिल जाएगा।
वैज्ञानिकों ने मास्क पहनने पर दिया जोर : इसके अलावा वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने पर जोर दिया है। फोंटानेट ने कहा कि नए वायरस से निपटने के लिए क्रूज़ शिप, युद्धपोतों, स्पोर्ट्स हॉल, डिस्को, बूचड़खानों, आवास और पूजा के स्थानों पर लोगों को मास्क पहनना चाहिए।
सोशल डिस्टेंसिंग है जरूरी : मास्क पहनने के अलावा वैज्ञानिकों ने सामाजिक दूरी को बनाए रखने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि फिलहाल कोरोना से बचने के लिए लोगों को एक-दूसरे से अलग रहना चाहिए।
रूस में कोरोना की दवा का पहला मानव परीक्षण सफल : इस बीच रूस की सेचेनोव यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मनुष्यों पर कोरोना वायरस की वैक्सीन का दुनिया का पहला सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्तमान में कोरोना के कम से कम 21 टीकों पर काम चल रहा है। इसके साथ रूस कोविड-19 वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल को पूरा करने वाला दुनिया का पहला राष्ट्र बन गया है और परिणाम दवा की प्रभावशीलता साबित करते हैं। इस टीके को गामेली इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने बनाया है।