कोयम्बटूर। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को हिंसा का सहारा लेने वालों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है और हिंसा को प्रोत्साहित करने वाले लोग राष्ट्र की कीमत पर ऐसा कर रहे हैं। नायडू ने कोयंबटूर में पीएसजी संस्थानों के छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र में असंतोष जरूरी है लेकिन विघटन नहीं। उन्होंने कहा कि विरोध-प्रदर्शनों को शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, कोई भी देश की एकता और अखंडता के खिलाफ नहीं बोल सकता है। नायडू ने लोगों से आग्रह किया कि वे पहले नागरिकता (संशोधन) कानून का अध्ययन करें और समझें। उन्होने कहा कि इस कानून का भारतीय नागरिकों से कोई संबंध नहीं है बल्कि यह उन शरणार्थियों से संबंधित हैं, जिन्हें पड़ोसी देशों में धार्मिक आधार पर सताया जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाये जाने और राज्य के पुनर्गठन पर उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और संसद में विस्तृत बहस के बाद इसे निरस्त किया गया था। अनुच्छेद 370 हटाये जाने और अन्य मुद्दों पर कुछ देशों द्वारा की जा रही टिप्पणियों का उल्लेख करते हुए नायडू ने कहा कि उन्हें अपने मामलों पर ध्यान देना चाहिए और भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करना बंद करना चाहिए। उन्होंने पीएसजी इंस्टीट्यूशन के संस्थापक पीएस गोंिवदस्वामी नायडू को एक दूरदर्शी एवं दयालु इंसान बताया और कहा कि केवल तीन बेटों के बावजूद उन्होंने अपनी संपत्ति को चार भागों में विभाजित किया था तथा चौथा हिस्सा गरीबों और हाशिये के वर्गों की मदद के लिए रखा गया था।