मैड्रिड। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते को लागू करने की वकालत करते हुये विकसित देशों से कार्बन उत्सर्जन कम करने और इस दिशा में किये गये वादे पूरे की करने की माँग की। जावडेकर ने संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन से संबद्ध सम्मेलन के सदस्य देशों की यहाँ हो रही 25वीं बैठक में भारत का वक्तव्य पेश करते हुये कहा कि मात्र छह देश पेरिस में घोषित राष्ट्रीय स्वैच्छिक सहयोग (एनडीसी) को पूरा करने की दिशा में बढ़ रहे हैं जिसमें भारत सबसे आगे है। उन्होंने कहा, ‘‘हम 2020-पूर्व के काल के अंतिम चरण में हैं। यह समीक्षा और आकलन का समय है।
क्या विकसित देशों ने अपने वादे पूरे किये। दुर्भाग्यवश उन्होंने क्योटो प्रोटोकॉल के लक्ष्य हासिल नहीं किये हैं। उनके एनडीसी से भी नहीं लगता कि उनकी ऐसी कोई महत्वाकांक्षा है, न ही उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता बढ़ाने की इच्छा दिखायी है। मैं प्रस्ताव करता हूँ कि हमारे पास 2020-पूर्व की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए तीन साल और हैं जब तक कि उत्सर्जन के अंतर को पाटने के लिए वैश्विक आकलन का काम पूरा हो।’’ उन्होंने विकसित देशों द्वारा कार्बन उत्सर्जन कम करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकासशील देशों की मिलने वाली राशि का मुद्दा उठाते हुये कि पिछले 10 साल में 10 खरब डॉलर का वादा किया गया था, लेकिन उसका मात्र दो प्रतिशत ही दिया गया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इसमें सिर्फ सरकारी सहायता की ही गणना की जानी चाहिये और विकसित देशों को दोहरे लेखा का लाभ नहीं उठाना चाहिये। पूर्व में कार्बन उत्सर्जन का लाभ उठाकर विकसित देश बनने वाली दुनिया को उसकी कीमत भी चुकानी चाहिए। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि विकासशील देशों के लिए कम कीमत पर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण महत्वपूर्ण है। यदि हम एक आपदा का सामना कर रहे हैं तो किसी को इसमें भी मुनाफा कमाने की नहीं सोचनी चाहिए। उन्होंने संयुक्त अनुसंधान और सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव देते हुये लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जरूरी वित्तीय मदद उपलब्ध कराने की माँग की।