नई दिल्ली। लघु, सीमांत और भूमिहीन किसानों की आय बढाने के लिए ब्राजील के सहयोग से ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरियों में नस्ल सुधार करके उसकी उत्पादकता बढायी जायेगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. त्रिलोवन महापात्रा ने सोमवार को बताया कि मैत्री कार्यक्रम के तहत ब्लैक बंगाल बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान कराया जायेगा। ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरियां की विशेषता है कि वह एक बार में तीन - चार बच्चों को जन्म देती है लेकिन कम दूध देने के कारण कई बार उनके बच्चे मर जाते हैं।
डा. महापात्रा ने कहा कि नस्ल सुधार के लिए अच्छे नस्ल के बकरों के सिमेन की जरुरत होगी। वर्तमान में स्थानीय स्तर पर किसान परम्परागत रुप से गर्भाधान कराते हैं जिसके कारण नस्ल सुधार नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि उन्नत नस्ल के बकरों के वीर्य से कृत्रित गर्भाधान कराये जाने से बकरियों में दूध उत्पादन बढेगा और जो बच्चे पैदा होंगे वे एक साल के दौरान 40 से 50 किलो वजन के हो जायेंगे। बकरे के मांस का मूल्य लगभग 500 रुपसे प्रति किलो है।
उन्होंने कहा कि बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य राज्यों में बड़े पैमाने पर ब्लैक बंगाल नस्ल की बकरियां पाली जाती है। इनमें नस्ल सुधार से लघु, सीमांत और भूमिहीन किसानों की आय में कई गुना वृद्धि की संभावना है। भारत ब्राजील के बीच मैत्री योजना की आज से शुरुआत से हुयी है। इसके तहत दोनों देशों के पांच पांच स्टार्ट अप कम्पनियों को दोनों देशों में भेजा जायेगा और उन्हें कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास की नवरनतम जानकारी दी जायेगी तथा उद्मियता को बढावा दिया जायेगा। इस कार्यक्रम से देनों देशों के ज्ञान और कौशल का फायदा किसानों को होगा।