नई दिल्ली। सरकार ने कहा कि भारत में पैदा होने वाले प्रति 1000 बच्चों में से एक शिशु में मानसिक मंदता (डाउन सिंड्रोम) होने की रिपोर्ट है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘ उपलब्ध वैज्ञानिक साहित्य के अनुसार पश्चिमी देशों में 800 जन्मों में से मानसिक मंदता का एक मामला सूचित किया जाता है जबकि भारत में यह आंकड़ा 1000 पर एक का है।’’ उन्होंने कहा कि भारत में इस प्रकार की समस्या की आशंका कम होती है।
इसका एक प्रमुख कारण भारत में शादियों का जल्दी हो जाना भी है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में अक्सर शादियां देर से होती हैं। नड्डा ने कहा कि भारत सरकार राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम को लागू कर रही है ताकि 18 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों में जन्मजात दोषों, रोगों, अल्पताओं, विकलांगता सहित विकास में देरी की जांच की जा सके। उन्होंने कहा कि नैदानिक जांच द्वारा मानसिक मंदता सहित जन्मजात दोषों की पूर्व पहचान की जाती है और मानसिक मंदता के प्रबंधन के लिए पूर्व क्रियाकलाप शुरू करने के प्रावधान किए गए हैं।
नड्डा ने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि भारत में नवजात शिशु मृत्यु दर 2005 में प्रति 1000 पर 37 थी जो 2013 में कम होकर प्रति।,000 पर 28 रह गयी है। उन्होंने कहा कि ‘‘विश्व में माताओं की स्थिति, 2013’’ के अनुसार भारत में हर वर्ष अनुमानित 3.9 लाख बच्चों की जन्म के दिन ही मौत हो जाती है जो कुल वैश्विक मौतों का 29 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि नवजात मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत भारतीय नवजात शिशु कार्ययोजना तैयार की है।
नड्डा ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कोषों में कोई कटौती नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि कोषों की कोई कमी नहीं होगी। राज्य सरकारों को जितनी राशि की जरूरत होगी, केंद्र सरकार वह राशि मुहैया कराएगी। इसके पहले द्रमुक सदस्य कनिमोई ने तमिलनाडु के एक अस्पताल में बच्चों की मौत के संबंध में सवाल किया। इसका अन्नाद्रमुक सदस्यों ने तीखा विरोध किया। सभापति हामिद अंसारी ने अन्नाद्रमुक सदस्यों से बैठने की अपील की। उन्होंने इस क्रम में अन्नाद्रमुक सदस्यों को चेतावनी भी दी।