नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट से लेकर यूजी नेट तक कई राष्ट्रीय स्तर की बड़ी परीक्षाओं में हुई धांधली ने केंद्र सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इस मुद्दे पर लगातार सियासत भी गर्माई हुई है। वहीं देश के लाखों स्टूडेंट्स के भविष्य पर भी प्रश्नचिन्ह लग गया है। इस बीच केंद्र सरकार एक्शन मोड में नजर आ रही है। इन धांधलियों को लेकर सरकार की ओर से एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया गया है। इस समिति में 7 सदस्यों की सोमवार को एक बड़ी बैठक होने जा रही है।इस बैठक में परीक्षाओं में पारदर्शिता के साथ-साथ एनटीए के कामकाग पर भी नजर रखने और इसमें सुधार को लेकर मंथन करेंगे।
केंद्र सरकार की ओर से गठित कमेटी आज हाई लेवल मीटिंग करने जा रही है। इस मीटिंग में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी यानी एनटीए के जरिए होने वाली परीक्षाओं में ट्रांसपरेंसी लाने के साथ ही एग्जाम प्रोसेस सुचारु और निष्पक्ष संचालित किए जाने पर चर्चा होगी। इसके अलावा नीट और नेट में होने वाली धांधली पर भी मंथन होगा। इसमें उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय की ओर से एक्सपर्ट्स की टीम तैयार की गई है।सात सदस्यीय कमेटी में इन्हीं मंत्रालयों के सदस्य शामिल हैं।
बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से इस कमेटी की अध्यक्षता यानी नेतृत्व भारतीय अंतरिक्ष रिचर्स ऑर्गेनाइजेशन यानी ISRO के पूर्व प्रमुख डॉ.के राधाकृष्ण करेंगे। इसके में डॉ रणदीप गुलेरिया जो पूर्व एम्स प्रमुख रहे हैं वह भी शामिल हैं। इसके साथ ही प्रो।बीजे राव, प्रो.राममूर्ति, पंकज बंसल, आदित्य मित्तल और गोविंद जायसवाल के नाम शामिल हैं।
इस कमेटी का काम तो हम समझ लिया।लेकिन इस काम के लिए केंद्र सरकार की ओर से एक डेट लाइन तय की गई है।यानी एक निश्चित समय में ही इस कमेटी को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपना है।इसके लिए 2 महीने का वक्त दिया गया है। इस कमेटी के दिए गए सुझावों को आने वाली एग्जाम प्रक्रिया में लागू किया जाएगा