उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण आग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आड़े हाथ लेते हुए पूछा कि वन अग्निशमन कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी पर क्यों तैनात किया गया था। सरकार की पेश से पेश से अदालत ने पूछा कि आपने जंगल के अग्निशमन कर्मचारियों को आग के बीच चुनाव ड्यूटी पर क्यों लगाया है?
राज्य के एक अधिकारी ने कोर्ट में कहा कि कर्मचारियों की चुनाव की ड्यूटी खत्म हो गई है और मुख्य सचिव ने उन्हें किसी भी अधिकारी को चुनाव ड्यूटी पर नहीं लगाने का निर्देश दिया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि यह एक खेदजनक स्थिति है। आप केवल बहाने बना रहे हैं।
उत्तराखंड में जंगल की आग पर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान वकील परमेश्वर ने आज कहा कि वहां भीषण आग है और 40 फीसदी जंगल आग की चपेट में है। इसे बुझाया नहीं जा सका है। वकील को जवाब देते हुए उत्तराखंड के वकील ने कहा कि कोई नई आग नहीं लगी है। वकील ने आगे तर्क दिया कि राज्य सरकार को जंगल की आग से निपटने के लिए केंद्र से धन नहीं मिला है। इसमें आगे कहा गया, "केंद्र और राज्य की छह सदस्यीय समिति मदद कर सकती है ताकि इन आग पर काबू पाया जा सके। हम आग बुझाने की स्थिति में हैं। 9,000 से अधिक लोग काम कर रहे हैं और 420 मामले दर्ज किए गए हैं। हम बैठक कर रहे हैं।
वकील ने कहा कि फंडिंग अब एक बड़ा मुद्दा है। अगर उचित फंडिंग होती तो स्थिति बेहतर होती। केंद्र को राज्य की मदद के लिए आगे आना होगा। पीठ ने वकील से पूछा कि क्या उन्होंने "उपकरण खरीदने" के लिए कुछ किया है क्योंकि "अकेले उत्तराखंड में 280 आग लगी थीं। इस सरकार के वकील ने कहा कि हमने पिछले साल 1,205 पद भरे थे और बाकी की प्रक्रिया चल रही है।