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11 महीने बाद किसानों और सरकार के बीच कल होगी बातचीत, 5 सदस्यीय कमिटी...

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 5 2021 3:16PM | Updated Date: Dec 5 2021 3:16PM
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नई दिल्‍ली। दिल्ली की सीमाओं पर पिछले एक साल से ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे किसानों की सरकार के साथ सोमवार को बैठक हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक, किसानों संगठनों द्वारा गठित 5 सदस्यीय कमिटी और केंद्र सरकार के बीच मीटिंग हो सकती है। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने एमएसपी, कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मुकदमे वापस लेने सहित अपनी अन्य लंबित मांगों पर सरकार से बातचीत के लिए शनिवार को पांच सदस्यीय समिति गठित की थी। सोमवार की यह बैठक करीब 11 महीने बाद होने जा रही है। आंदोलन कर रहे किसानों और सरकार के बीच आखिरी बातचीत इस साल जनवरी में हुई थी। यह कदम ऐसे समय में सामने आया है, जब पिछले सोमवार को संसद सत्र के पहले दिन तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए विधेयक पारित किया गया। किसान इन कृषि कानूनों की वापसी और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर पिछले एक साल से आंदोलनरत हैं।

5 सदस्यीय समिति में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, अशोक धावले, शिव कुमार कक्का, गुरनाम सिंह चढूनी और युधवीर सिंह शामिल हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार को बैठक के बाद कहा कि किसान सभी मांगे पूरी होने तक अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे। बैठक में केंद्र सरकार को किसानों पर दर्ज मामले लेने, न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून की गांरटी, मुआवजे और बाकी मांगों के बारे में स्थिति स्पष्ट करने के लिए दो दिन का समय दिया गया है। एसकेएम ने बताया कि 7 दिसंबर को मोर्चे की दोबारा बैठक होगी। किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 702 किसानों की सूची केंद्र को भेजी गई है जिनके परिजनों के लिए मुआवजे की मांग की गई है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद में कहा था कि उनके पास आंदोलन में मरने वाले लोगों की जानकारी नहीं है।  देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान, पिछले साल नवंबर से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं (सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर) पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे पहले दोनों पक्षों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी बेनतीजा रहीं थी।
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