नई दिल्ली। वैक्सीन की रूसी निर्माता रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) के अनुसार भारत में हर साल 30 करोड़ डोज तैयार करने का लक्ष्य है। टेक्नॉलजी ट्रांसफर भी शुरू हो गया है और वैक्सीन की पहली डोज सितंबर 2021 तक आ जाने की संभावना है। रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड ने शनिवार को बताया कि भारत में रूस की कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक वी का प्रोडक्शन सितंबर में पूरी तरह से शुरू होने की उम्मीद है। आरडीआईएफ की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, ‘भारत में स्पुतनिक वी का प्रोडक्शन सितंबर में पूरी तरह से शुरू होने की संभावना है।
आरडीआईएफ ने उम्मीद जताते हुए कहा कि भारत, दुनिया की सबसे बड़े वैक्सीन प्रोडक्शन कंपनियों- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, ग्लैंड फार्मा, हेटेरो बायोफार्मा, पैनेशिया बायोटेक, स्टेलिस बायोफार्मा, विरचो बायोटेक और मोरपेन लेबोरेटरीज के साथ-साथ स्पुतनिक वी वैक्सीन के लिए भी एक मेजर प्रोडक्शन हब बन जाएगा।
बयान में आगे कहा गया है कि आरडीआईएफ की योजना अगस्त महीने में भारत में स्पुतनिक वी और स्पुतनिक लाइट की डिलीवरी में तेजी लाने की है। इससे पहले, डॉ रेड्डीज ने कहा था कि रूस में बढ़ते कोरोना के मामलों की वजह से स्पुतनिक वी वैक्सीन आने में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि अगस्त के अंत तक स्थिति सामान्य हो सकती है।
स्पुतनिक वी का अपना खुद का ट्विटर अकाउंट
डॉ रेड्डी लैबोरेटरीज ने भारत में स्पुतनिक वी के प्रोडक्शन के लिए आरडीआईएफ के साथ मई 2021 में करार किया था। रूस के डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड ने स्पूतनिक वी वैक्सीन के प्रोडक्शन के लिए छह भारतीय वैक्सीन निर्माता कंपनियों के साथ समझौता किया है। इस करार के तहत डा रेड्डीज भारत में इस वैक्सीन की 12.5 करोड़ डोज बेचेगी।
स्पुतनिक वी को द गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा डिजाइन किया गया था। इसका अपना खुद का ट्विटर अकाउंट है जो दुनिया की पहली रजिस्टर्ड कोविड वैक्सीन के रूप में अपना विज्ञापन करता है और रूस, दक्षिण कोरिया, अर्जेंटीना और यूएई सहित 69 देशों में इसे मंजूरी प्राप्त है।
एस्ट्राजेनेका-स्पुतनिक लाइट वैक्सीन का मिक्षण कारगर
इस बीच, रशियन डायरेक्ट इंवेंस्टमेंड फंड (RDIF) ने जानकारी देते हुए बताया कि एस्ट्राजेनेका कोरोना वैक्सीन और रूस की 'स्पुतनिक लाइट वैक्सीन' पर किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि इन दोनों वैक्सीन के कॉकटेल का इस्तेमाल करने के बाद कोई बुरा या गंभीर प्रभाव देखने को नहीं मिला है और ना ही वैक्सीनेशन के बाद कोरोना का कोई केस सामने आया।
RDIF ने कहा, 'अब तक 50 वॉलंटियर्स को वैक्सीन का कॉकटेल लगाया गया है और ट्रायल में शामिल होने के लिए नए पार्टिसिपेंट्स को भी बुलाया गया है। डेटा का अंतरिम विश्लेषण, वैक्सीन के कम्बाइन्ड यूज के लिए एक हाई सेफ्टी प्रोफाइल प्रदर्शित करता है, जिसमें कोरोना वैक्सीनेशन के बाद कोई गंभीर परिणाण देखने को नहीं मिले और न ही कोरोना वायरस के मामले सामने आए।