केंद्र ने शुक्रवार को विशेषज्ञों के एक समूह की सिफारिश का स्वागत किया कि व्यापक स्तर पर, अव्यवस्थित और अधूरे टीकाकरण से वायरस के स्वरूप में बदलाव हो सकता है और जो लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं उन्हें टीके देने की जरूरत नहीं है. केंद्र ने कहा कि वह इन सुझावों पर विचार-विमर्श करेगा.
लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि जो लोग संक्रमित हो गए, उन्हें टीके देने की जरूरत नहीं है और व्यापक स्तर पर टीकाकरण के बजाए कमजोर और उन लोगों को टीके दिए जाएं जिनके स्वास्थ्य को खतरा अधिक है. इस विशेषज्ञ समूह में एम्स के डॉक्टर और कोविड-19 पर राष्ट्रीय कार्यबल के सदस्य भी हैं.
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कई प्रतिष्ठित संस्थानों के अलग-अलग महामारी विशेषज्ञों और अन्य विशेषज्ञों ने ये सुझाव दिए हैं. उन्होंने कहा, 'हम उनके सुझावों का स्वागत करते हैं और उनके साथ चर्चा करेंगे.' कोविड-19 से उबर चुके लोगों को टीका नहीं देने के सुझाव पर पॉल ने कहा कि भारत में टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी परामर्श समूह (एनटीएजीआई) इस बारे में फैसला करता है और यह फैसला, प्राप्त सुझावों, समीक्षा और विचार-विमर्श पर आधारित होता है.
उन्होंने कहा, 'संक्रमण से उबरने के तीन महीने के बाद टीका दिए जाने के संबंध में उपलब्ध आंकड़ों और अन्य तथ्यों पर गौर किया जाता है. अगर और आंकड़े उपलब्ध होते हैं तथा नए सुझाव आते हैं तो वे उस पर विचार-विमर्श करेंगे. यह एक गतिशील प्रक्रिया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और दूसरे देशों में भी समय-समय पर कई फैसले बदले गए हैं. विज्ञान के तथ्यों के आधार पर निर्णय किए जाते हैं. ऐसे सुझावों पर विचार-विर्मश किया जाएगा.'