नई दिल्ली। लोकसभा में शुक्रवार को लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत एवं चीन की सेनाओं के पीछे हटने के समझौते को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाने की कोशिश की लेकिन अध्यक्ष ओम बिरला ने इसकी अनुमति नहीं दी। लोकसभा में शून्यकाल में कांग्रेस के नेता अधीररंजन चौधरी ने कहा कि कल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख के मुद्दे पर अपनी बात रखी थी। उम्मीद है कि चीनी सेना टकराव के बिन्दु से हट रही होगी और अप्रैल 2020 के पहले वाली स्थिति बहाल होगी। लेकिन इस बारे में कुछ मुद्दों में स्पष्टता जरूरी है।
रक्षा मंत्री को इसका जवाब देना चाहिए। चौधरी ने कहा कि बड़ी मशक्कत के बाद हमारी फौज ने बहादुरी दिखाते हुए पेंगांग झील के दक्षिणी छोर पर कैलास रेंज में कब्जा कर लिया था जिससे चीन की सेना में खलबली मच गयी थी। पर क्या इस समझौते में हमारी सेना को कैलास रेंज से कब्जा छोड़ना पड़ेगा। क्या भारतीय सेना हमारी ताकत और लाभ की स्थिति से पीछे हटने वाली है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो यह देश की एक और ऐतिहासिक गलती होगी।
उन्होंने कहा कि पेंगांग झील के अलावा सबसे अधिक संवेदनशील मुद्दा देप्सांग का है जहां चीनी सेना 18 किलोमीटर अंदर घुस आयी है और हमारा दौलतबेग ओल्डी हवाई पट्टी खतरे की जद में आ गयी है। सरकार को बताना चाहिए कि इस बारे में क्या कार्रवाई हो रही है। चौधरी जब यह कह रहे थे तो कई बार उनका माइक बंद हुआ और अध्यक्ष बिरला ने कहा कि यह मुद्दा शून्यकाल का नहीं है, यदि वह अलग से नोटिस देंगे तो उन्हें अपनी बात रखने का मौका मिलेगा।
लेकिन चौधरी ने आग्रह पूर्वक कहा कि वह कोई असंसदीय या अमर्यादित बात नहीं कह रहे हैं। लेकिन अध्यक्ष ने उन्हें आगे कुछ नहीं कहने दिया। इस दौरान सत्ता पक्ष की ओर से भारी टोकाटाकी की गयी। संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि रक्षा मंत्री इस बारे में बयान दे चुके हैं और भारत की इस उपलब्धि पर गर्व किया जाना चाहिए लेकिन विपक्ष इस पर सवाल उठा रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या चौधरी को रक्षा मंत्री पर विश्वास नहीं है। थोड़ी देर बाद भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने भी अपने पूर्व निर्धारित विषय से अलग इसी विषय को उठाने की कोशिश की लेकिन अध्यक्ष ने यह कहते हुए अनुमति नहीं दी कि जब विपक्ष के सदस्य को यह मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं है तो उन्हें भी अनुमति नहीं दी जाएगी।