नई दिल्ली। भारत ने अमेरिका के साथ टू प्लस टू संवाद को लेकर चीन के बयान को आज खारिज कर दिया और कहा कि यह संवाद हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के सभी देशों के लिए शांति, स्थिरता एवं समृद्धि पर केन्द्रित है और यह तभी हो सकता है जब क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था कायम हो और सभी देशों की प्रादेशिक अखंडता एवं संप्रभुता का सम्मान करते हुए स्वतंत्र नौवहन सुनिश्चित हो। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने यहां नियमित ब्रींिफग में चीन की टू प्लस टू संवाद पर टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कहा कि टू प्लस टू के बारे में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि हमारी बातचीत का मुख्य केन्द्र हिन्द-प्रशांत क्षेत्र है।
हम इस क्षेत्र के सभी देशों के लिए शांति, स्थिरता एवं समृद्धि के महत्व को दोहराते हैं। यह तभी संभव है जब वहां नियम आधारित व्यवस्था कायम हो, अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता, खुली कनेक्टिविटी तथा सभी देशों की संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता का सम्मान सुनिश्चित हो।
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि गत 12 अक्टूबर को कोर कमांडर स्तर की बैठक में दोनों पक्षों के बीच गहन विचार विमर्श हुआ जिससे दोनों को एक दूसरे की स्थिति को समझने में मदद मिली। दोनों पक्ष सैन्य एवं कूटनीतिक स्तर पर संवाद बनाये रखने तथा जल्द से जल्द परस्पर स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने को लेकर सहमत हैं। इसी के अनुरूप हम चीनी पक्ष के साथ संवाद कर रहे हैं ताकि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पूर्णत: शांति एवं स्थिरता कायम हो सके। इस मुद्दे का किसी अन्य मुद्दे से कोई संबंध नहीं है।