नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गुजरात में सभी कारखानों में श्रम कानूनों में ढील देने संबंधित राज्य सरकार की अधिसूचना गुरुवार को निरस्त कर दी। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की खंडपीठ ने गुजरात के श्रम एवं नियोजन विभाग की ओर से 17 अप्रैल को जारी वह अधिसूचना रद्द कर दी जिसमें राज्य के कल कारखानों को फैक्ट्रीज एक्ट, 1948 के कुछ प्रावधानों से छूट दी थी।
अधिसूचना के जरिए प्रतिदिन और साप्ताहिक काम के घंटे बढ़ाने की छूट दी गई, आराम के लिए मध्याह्न अवकाश समाप्त कर दिए गए थे तथा मजदूरों को ओवरटाइम भुगतान करना जÞरूरी नहीं रखा गया था। खंडपीठ ने कहा कि महामारी की स्थिति मजदूरों के हक के वैधानिक प्रावधानों को समाप्त करने का आधार नहीं हो सकता। न्यायालय ने कहा कि महामारी फैक्ट्री एक्ट की धारा पांच के तहत वर्णित ' पब्लिक इमरजेंसी ' के दायरे में नहीं आता, क्योंकि महामारी से देश की सुरक्षा को खतरा नहीं होता। शीर्ष अदालत ने गत 23 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिका मजदूर संगठनों ने दायर की थी।