नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने गुरुवार को जी- 20 समूह की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि कोरोना वायरस कोविड-19 के उपचार और वैक्सीन तक सबकी पहुंच समान रहे। डॉ हर्षवर्धन ने जी -20 में शामिल देशों के वित्त और स्वास्थ्य मंत्रियों की संयुक्त बैठक को विडियो कांफ्रेंंिसग के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना वैक्सीन की पहुंच समान करनी जरूरी है ताकि कोरोना से सुरक्षा में किसी की भुगतान क्षमता कोई बाधा न डाल पाये।
कोरोना महामारी और इससे उत्पन्न वैश्विक संकट ने राष्ट्रीय तथा वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता को उजागर किया है। कोरोना संक्रमण के प्रसार पर नियंत्रण के लिए अंतर्राष्ट्रीय तथा बहुक्षेत्रीय सहयोग की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विश्व भर में स्वास्थ्य प्रणालियों में कोविड-19 के जटिल मामलों के समाधान की पर्याप्त क्षमता बनी रहे और दुनियाभर में कमजोर तथा बुजुर्ग मरीजों की रक्षा की जा सके। उन्होंने कहा कि भारत कम लागत में गुणवत्तापूर्ण विनिर्माण के लिए जाना जाता है और वह ‘मेक इन इंडिया ’और ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ के प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोरोना वैक्सीन के वितरण प्रबंधन में अनुसंधान विकास तथा डिजिटल क्षमता विकसित करने में भी भारत की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। उन्होंने कहा,‘‘हमें कोविड-19 टूल एक्सलरेटर तक पहुंच जैसे वर्तमान कार्यक्रमों से लाभ उठाने की जरूरत है और साथ ही यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि निदान और वैक्सीन तक समान वैश्विक पहुंच हो और स्वास्थ्य प्रणाली मजबूत बने।’’ डॉÞ हर्ष वर्धन ने जन स्वास्थ्य में निवेश की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहले ही इस दृष्टिकोण के साथ काम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा,‘‘ हमें कोरोना के खिलाफ जंग की अधिक तैयारियों के लिए कारगर स्वास्थ्य प्रणाली विकसित करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। बेहतर तरीके से विकसित स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली ही महामारी पर काबू पाने में मदद कर सकती है।’’ स्वास्थ्य मंत्री ने कहा,‘‘ भारत संकट के समय में सार्वभौम स्वास्थ्य देखभाल कवरेज के प्रति वचनबद्ध है। भारत लोगों की जान बचाने और उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा करने तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था को शीघ्र बहाल करने के साझा मिशन को हासिल करने के लिए विश्व के साथ खड़ा है।
यह समय निर्णायक जन स्वास्थ्य नेतृत्व और कोविड-19 के बाद के समय की चुनौतियों से निपटने का भी है। अब जन स्वास्थ्य नेतृत्व को सीमाओं से आगे देखना होगा। किसी भी सीमा की परवाह नहीं करने वाले कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में वैश्विक अनुभव से केवल सीखने से क्या हम अब तक गंवाई जानों का सम्मान कर सकते हैं और वर्तमान तथा भविष्य में इसकी चपेट में आने मरीजों के लिए जान बचाने के उपायों को लागू कर सकते हैं।’’