खरगोन/ बड़वानी। मध्यप्रदेश के खरगोन तथा बड़वानी जिलों में कोरोना कर्फ्यू के चलते पिछले वर्ष की तरह फूलों के व्यवसाय से जुड़े 100 से अधिक दुकानदार तथा कृषक संकट में हैं। फूल उत्पादक नुकसान की वजह से अपनी उपज को उखाड़ने को मजबूर हो गए हैं। मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों की तरह खरगोन व बड़वानी जिले में महामारी के चलते लगाए गए कोरोना कर्फ्यू ने फूल व्यवसाय से जुड़े दुकानदारों और किसानों की कमर तोड़ दी है। बिक्री नहीं होने के चलते जहां दुकानदार तकलीफ उठा रहे हैं वही फूल उत्पादक अपनी फसलों को उखाड़ने पर मजबूर हो गए हैं।
खरगोन के श्याम कुमरावत ने बताया कि उनके समेत 15 दुकानदार फूलों की बिक्री नहीं होने के चलते परेशान हैं। वह भी बताया कि हाल ही में बीड़ क्षेत्र में लगायी 1 एकड़ की फसल को उन्होंने उखाड़ कर नष्ट कर दिया। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष डेढ़ लाख का नुकसान हुआ था और इस वर्ष भी अभी तक वे एक लाख रु के घाटे में है। उन्होंने कहा कि निमाड़ के त्योहार गणगौर के अलावा वैवाहिक कार्यक्रमों में स्टेज, कार , मंडप तथा अन्य स्थानों पर उपयोग होने वाले फूल कोरोना कर्फ्यू के प्रतिबंधों के चलते नहीं बिक पाये। उन्होंने कहा कि परिवार से जुड़े स्थायी खर्च का वहन मुश्किल हो रहा है। यहां तक कि वे अपनी मकान की किश्त भी नहीं चुका पा रहे।
यहां के अन्य फूल विक्रेता मनोज कदम शाहिद खान और वकार मस्ताना ने भी इसी तरह की दिक्कतों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि कोरोना कर्फ्यू की गाइडलाइन के चलते शव के अंतिम संस्कार के लिए आठ 10 लोग ही जाते हैं और बेहद कम संख्या में फूल का उपयोग होता है। कोरोना के चलते हुई मृत्यु पर तो एक भी फूल प्रयुक्त नहीं हो पाता। खरगोन जिले के महेश्वर क्षेत्र के फूल उत्पादक तथा विक्रेता सलमान खान ने बताया कि उनके समेत करीब एक दर्जन लोगों ने अपनी फसल खेतों से हटा दी है। उनके पास आय के अन्य विकल्प भी नहीं है। किसी भी सदस्य के कोरोना संक्रमित होने के बाद जमा पूंजी भी खर्च हो जाती है।
उन्होंने कहा कि शासकीय कर्मचारी व अधिकारियों को तो प्रतिमाह वेतन मिल रहा है और अमीर व्यक्ति को इस कोरोना काल से ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा व गरीबों को शासन ने अनाज का इंतजाम कर दिया, किंतु उन जैसे लोगों के लिए दिक्कत हो रही है। उन्होंने कहा कि वे सब्जी का व्यवसाय भी नहीं कर सकते क्योंकि उनके भी यही हाल है, कई सब्जी विक्रेता भी अपनी फसल उखाड़ने को मजबूर हैं। खरगोन जिले के कसरावद के 25 वर्षों से फूल उत्पादन से जुड़े शाहिद ने बताया कि फूल तोड़ने की मजदूरी भारी पड़ने के चलते उन्होंने अपना फूलों से भरा खेत उखड़वा दिया। वह प्रतिवर्ष गेंदा नवरंग तथा अन्य प्रकार के फूलों को पैदा कर एक से डेढ़ लाख रुपए कमाते थे, किंतु मंदिरों के बंद रहने व शादी ब्याह नहीं होने के चलते नुकसान में है।
बड़वानी के फूल उत्पादक हरिनारायण माली ने बताया कि क्षेत्र में 17 परिवार 20 एकड़ जमीन पर फूलों की खेती करते हैं। पिछले लॉकडाउन में उन्हें कर्जदार बना दिया और इस बार भी फूल नहीं बिक पाने के चलते खेत में लगे फूलों को उखाड़ने का काम करना पड़ा है। इसके लिए भी प्रतिदिन 200 रु की दर से 5 मजदूर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि फूलों की खेती के अलावा अन्य व्यवसाय नहीं कर पाने की मजबूरी की वजह से परिवार पालने में बड़ी दिक्कत हो रही है अत: सरकार को फूल उत्पादकों तथा दुकानदारों की सहायता करना चाहिए।
बड़वानी जिले के उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक विजय कुमार सिंह ने बताया कि जिले में करीब 165 हेक्टेयर क्षेत्र में फूलों की खेती होती है। खरगोन जिले के उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक मोहन मुजाल्दा ने बताया कि पिछले वर्ष की तरह इस बार भी फूल उत्पादक अपनी फसल का दाम नहीं पाने के चलते संकट में हैं । उन्होंने बताया कि जिले के कसरावद , बरुड़ , महेश्वर और बड़वाह क्षेत्रों में करीब 100 हेक्टेयर क्षेत्र में फूल का उत्पादन होता है।